उदयपुर। उदयपुर शहर की नगर निगम का हाई वोल्टेज ड्रामा गृहमंत्री की घुड़की के बाद अब ख़त्म होने के आसार है। गृहमंत्री ने असंतुष्ट समिति अध्यक्ष और महापौर की आमने सामने बैठा कर साम दाम दंड भेद तरीके इस्तमाल करते हुए समझा दिया और भपकी देते हुए आगे के लिए निर्देश भी देदिए की कोई मीडिया के पास नहीं जाएगा और मीडिया में सिर्फ जिलाध्यक्ष ही बयान देंगे।
पिछले कई दिनों से महापौर चन्द्र सिंह कोठारी की कार्य करने के तरीकों से नाराज़ समिति अध्यक्ष ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था तब से नगर निगम में महापौर और पार्षदों के बिच खींचा तानी चल रही थी। इस कुश्ती को रोकने के लिए नगर निगम और उदयपुर भाजपा के कर्ता धर्ता गृहमंत्री शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया ” भाईसाब” निपटारे के लिए उदयपुर पहुचे और आनन – फानन में समितिध्यक्षों और महापौर की गुप्त बैठक भाईसाहब ने पार्टी कार्यालय में लेने की बात कहकर सभी को बुला लिया, लेकिन इसकी भनक मिडिया को लग गई। जब इस सियासी ड्रामे को कवर करने के लिए मिडियाकर्मी मौके पर पंहुच गए तो सभी को दुरभाश पर कटारिया ने अनयत्र जगह बुला लिया जिसका पता बाद में नहीं लग पाया। हालाकि सभी समितिध्यक्ष, महापौर और जिलाध्यक्ष गाड़ियों में बैठते हुए जरूर कैमरे में कैद हो गए। सूत्र बताते है कि देबारी में किसी जगह पर गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने सभी असन्तुष्ट सामिति अध्यक्षांे और महापौर चंद्रसिंह कोठारी से आमने – सामने बात कराई। साथ ही साफ कर दिया कि चंद्रसिंह कोठारी महापौर की कुर्सी पर बने रहेंगे। भाई साहब के इस बयान के बाद समितिध्यक्षों के चहेरों पर मायूसी छा गई, सभी रूंदे कंठों से भाई साहब की हां में हां मिलाते रहे और आखिरकार वहीं हुआ जो भाई साहब ने चाहा था। बाद में किसी को भी सार्वजनिक रूप से बयान नहीं देने के निर्देष दिए गए और इसके लिए अधिकृत रूप से जिलाध्यक्ष दिनेष भट्ट को अधिकृत किया गया। साथ ही कटारिया ने चंद्रसिंह कोठारी से भी व्यवहार में शीथिलता लाने की हिदायत दी है। गौरतलब है कि गुरूवार के बयान में राजस्थान के दुसरे नम्बर के नेता और शहर विधायक ने कहा था कि अगर कोठारी महापौर की कुर्सी को नहीं संभाल पाए तो वह इस महापौर की कमान संभाल लेंगे। इससे यह बात तो साबित हो गई कि भाईसाहब का निगम मोह अभी भी नहीं छुटा है। वैसे शायद अब शहर में होता काम दिखाई देने लगेगा क्योंकि तीन साल पूरे होने आए है और जनता को कनवेंस करने के लिए दो साल ही चाहिए है। गृहमंत्री कटारिया ने शुक्रवार को अपने उदयपुर प्रवास के दौरान सिर्फ समिति अध्यक्षों और महापौर की बैठक ही ली, इससे तो यह साबित होता है कि हर बार रविवार को अपने गृहक्षेत्र में आने वाले कटारिया को डेमेज कंट्रोल मैनेज्ड करने के लिए शुक्रवार को ही आना पड़ा। पार्टी के नेताओं में अब यह उम्मीद जताई जारही है कि भाईसाब की घुड़की के बाद सारे समिति अध्यक्ष अब शांत बैठ जायेगें अब कोई कुछ नहीं बोल सकेगा।

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