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उदयपुर। नगर विकास प्रन्यास और बड़े प्रशासनिक अधिकारियों की मिलीभगत से शोभागपुरा में ‘रॉयल राज विलास’ नामक काम्पलैक्स के जरिए अरबों रुपए की हेराफेरी व धोखाधड़ी की गई है। पता चला है कि इस काम्पलैक्स में कुछ बड़े अफसरों के फ्लैट भी है, जो न्यूनतम ७५ लाख रुपए की कीमत से शुरू हो रहे हैं। इस गड़बड़झाले के लिए उदयपुर इंटरटेनमेंट वल्र्ड प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी बनाई गई, जिसे यूआईटी ने दो लाख, ५१ हजार ३८५ वर्ग फुट का व्यावसायिक पट्टा जारी किया। कंपनी ने उक्त अनुमति के विपरीत ९० फीसदी भूभाग में आवासीय फ्लैट बनवा दिए, जिनके निर्माण को नहीं रोका गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त भू-भाग पर मल्टीप्लेक्स, होटल, सिनेमा, शॉपिंग मॉल ही बनाए जाने की स्वीकृति थी, लेकिन अफसरों को ‘आब्लाइज’ करने के लिए आवासीय काम्पलैक्स का निर्माण इस प्लान में शामिल कर लिया गया, जिससे ‘मॉनीटरिंग एजेंसी’ (इंस्पेक्टर्स) की इस ‘अनदेखी’ की भी भारी कीमत चुकाई गई। पता चला है कि इस सारे प्रोजेक्ट में नरसिंह द्वारा मीठाराम मंदिर की जमीन को कंपनी ने अपनी जमीन बताकर अफसरों की मिलीभगत से दो तरफ सड़क और एक तरफ सर्किल सरकारी खर्च से बनवा दिया। जबकि उक्त भूमि को न तो अवाप्त किया गया, न ही उसका मुआवजा चुकाया गया। इस प्रकार देवस्थान की जमीन को कानून का उल्लंघन करते हुए भू-माफिया ने अफसरों के साथ मिलकर हड़प लिया। यूआईटी ने यह आबंटन १७ दिसंबर, २००९ तथा व्यावसायिक लीज डीड १४ जनवरी, २०१० को जारी की। दोनों ही गैर काननूी है।

इस मामले में भू-माफिया और अफसरों की मिलीभगत एकल पट्टा जारी करने से भी सामने आती है। कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए संपूर्ण क्षेत्र (दो लाख ५१ हजार ३८५ वर्गफुट ) का एकल पट्टा जारी किया, जबकि केवल ६० प्रतिशत भूमि का पट्टा ही देने का प्रावधान है। सारे मामले की पड़ताल में यह भी सामने आया है कि नगर वकास प्रन्यास ने एक आदेश जारी कर कंपनी की जमाशुदा राशि ३५ लाख नौ हजार ३९० रुपए वापस लौटा दी। बहाना यह बनाया गया कि कंपनी को सरकार द्वारा निवेश प्रोत्साहन योजना की छूट का लाभ दिया गया है। यह मिलीभगत का सबसे बड़ा उदाहरण है। और तो और सबसे पहली आवश्यकता इंवायरमेंट क्लीयरेंस आज तक प्राप्त नहीं की गई है। इसके अतिरिक्त सामने ६० फुट व पीछे ३० फुट सेटबैक भी नहीं छोड़ा गया है। बताया गया है कि एकल पट्टे की योजना में २० वर्ष के भीतर एलआईजी के २४ फ्लेट्स और ईडब्ल्यूएस के २४ फ्लेट्स, यानी ४८ फ्लेट्स का निर्माण करना अनिवार्य है लेकिन उक्त प्रावधानों की पालना नहीं करके गैर कानूनी कार्य किया गया है। ज्ञातव्य है कि इस प्रोजेक्ट में फ्लेट की विक्रय कीमत ७५ लाख रुपए से शुरू हो रही है।

बताया गया है कि नगर विकास प्रन्यास द्वारा जारी एकल पट्टा योजना के तहत आवेदनकर्ता को कई शर्तों की पालना शामिल है, जिनमें खातेदारी भूमि पर स्वयं के खर्चे से सड़क, सीवरेज, पानी, बिजली, नाली की व्यवस्था करनी होती है। लेकिन नगर विकास प्रन्यास ने कंपनी को लाभ पहुंचाने के लिए मंदिर की भूमि पर सड़कें और सर्किल बनाने में जनता के करोड़ों रुपए खर्च कर भारी भ्रष्टाचार किया है। इस सारे प्रकरण में सरकारी दस्तावेजों और नक्शों में भी हेराफेरी कर कूटरचना की गई है, जो कि लायक फौजदारी मामला है। इस तरह से यूआईटी के अधिकारियों और भू-माफियाओं ने मिलकर रॉयल राज विलास नामक इस कॉम्पलैक्स के नाम पर काफी बड़ा फ्रॉड रचा है।

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