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निजी स्कूलों पर कार्रवाई की तैयारी
उदयपुर। शिक्षा के कानून के तहत अब निजी स्कूलों की बहानेबाजी पर शिकंजा कसता जा रहा है और प्रवेश देने व निशुल्क पाठ्य सामग्री देने में आनाकानी कर रहे स्कूलों पर कार्रवाई की जा सकती है। एक तरफ अभी हाल ही में उदयपुर जिले के 330 स्कूलों ने शिक्षा का अधिकारी (आरटीई) के तहत ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन नहीं होने पर जिला कलेक्टर ने सख्त रवैया अपनाते हुए सख्त कार्रवाई के आदेश दिए थे। अब इधर, हाईकोर्ट ने भी शिक्षा के कानून का सही ढंग से पालन नहीं होने पर केंद्र व राज्य सरकार से जवाब-तलब कर लिया है।
अदालत ने केंद्र सरकार के एचआरडी विभाग के सचिव, राज्य के मुख्य सचिव, प्रमुख शिक्षा सचिव, प्रारंभिक व माध्यमिक शिक्षा निदेशक सहित केंद्रीय विद्यालय संगठन को नोटिस जारी किए हैं। अदालत ने यह अंतरिम आदेश प्रोफेसर राजीव गुप्ता व हैल्पिंग हैंड्स ग्रुप की जनहित याचिका पर दिया। जानकारी के अनुसार आरटीई कानून 2009 में बना और एक अप्रैल, 2010 से लागू हो गया, लेकिन प्रदेश में सरकारी व निजी स्कूलों में इस कानून का पालन नहीं हो रहा।
प्रदेश में निजी स्कूलों द्वारा किए गए प्रवेश की जानकारी के लिए कोई कॉमन प्लेटफार्म नहीं है। सरकार ने निशुल्क शिक्षा के लिए 2011 में नियम बनाए थे, लेकिन नियमों में निशुल्क को सही तरीके से परिभाषित नहीं किया है और स्कूलों में इस कानून के तहत दिए बच्चों के साथ भेदभाव हो रहा है, जिस कारण बच्चे बीच शैक्षणिक सत्र में ही स्कूल छोड़ देते हैं। राज्य के शिक्षा नियमों के अनुसार एक किमी की दूरी पर प्राइमरी स्कूल व दो किमी की दूरी पर मीडिल स्कूल का प्रावधान है, लेकिन इन प्रावधानों का पालन भी नहीं हो रहा। इसलिए प्रदेश में सरकारी व निजी स्कूलों में आरटीई कानून के प्रावधानों का पालन करवाया जाए। इधर, मंगलवार को जिला शिक्षाधिकारियों की जिला कलेक्टर आशुतोष पेढणेकर के साथ हुई बैठक में जिला कलेक्टर ने शिक्षा के कानून के तहत निजी स्कूलों द्वारा हो रही अनियमितताओं पर सख्त नाराजगी जताते हुए कार्रवाई के आदेश दिए थे। क्योंकि जिले में 330 स्कूलों ने अभी तक आरटीई के तहत अपना रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवाया है, जिससे गरीब बच्चों के प्रवेश की स्थिति भी स्पष्ट नहीं हो पा रही है। कलेक्टर ने जल्द ही कार्रवाई कर रजिस्ट्रेशन करवाने की बात कही थी। अन्यथा स्कूलों की मान्यता तक रद्द की जा सकती है।

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