उदयपुर, पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र, राजस्थान सरकार के कला, साहित्य, संस्कृति, एवं पुरातत्व विभाग तथा राजस्थान साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में तीन दिवसीय ‘‘कला मेला’’ शनिवार को प्रारम्भ होगा, जिसमें अंचल की कई विलुप्त कलाएँ देखने का अवसर मिल सकेगा। मेले के लिये शिल्पग्राम में प्रवेश नि:शुल्क रखा गया है।

 

केन्द्र निदेशक श्री शैलेन्द्र दशोरा ने बताया कि लोगों में कला के प्रति रूझान पैदा करने करने एवं अंचल के कलाकारों को कला प्रदर्शन का मंच मुहैया करवाने के लिये आयोजित इस मेले में कला प्रेमियों को लोक कलाओं, शिल्प व पारंपरिक व्यंजन के रसास्वादन का अवसर मिल सकेगा। उन्होने बताया कि तीन दिवसीय उत्सव में तेराताल, मांगणियार लोक गायक, पुतली कला, व नट करतब के साथ-साथ कुछ विलुप्त कला शैलियों जेसे ढाक वादन, कामडिय़ा गीत, गलालेंब, डिंडोरी नृत्य, डेरू नृत्य, लोक नाट्य तुर्राकलंगी देखने को मिल सकेंगे।

 

श्री दशोरा ने बताया कि मेले में पारंपरिक व्यंजनों में लोगों को लाल चावल की राब, रागी माल्ट, मिस्सी दलिया, रागी वडे, सामा उपमा, मल्टीग्रेन टिक्कड़, सामा टिक्की, मोठ स्प्राउट सलाद, मिक्स स्प्राउट सलाद तीन दिवसीय मेले के दौरान शिल्पग्राम में लोगों के लिये प्रवेश नि:शुल्क होगा। मेले का उद्घाटन शनिवार को शाम 5.30 बजे होगा।

 

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