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उदयपुर | महाराणा भूपाल चिकित्सालय का स्वाइनफ्लू वार्ड का आईसीयू मौत का आईसीयू बना हुआ है | पिछले दो महीनों में जितने स्वाइनफ्लू का मरीज आईसीयू में आये है | उनमे से अधिकतर की मौत ही हुई है | धुलंडी के दिन एक साथ पांच लोगों की मृत्यु हो गयी अभी तक 42 लोगों की मौतें आईसीयू में हो चुकी है | इन मौतों को रोक पाने में मेडिकल कॉलेज के स्वाइनफ्लू स्पेशलिस्ट डॉक्टर असमर्थ है | इस बीमारी से हो रही मौतों पर अंकुश नहीं लग पाने के कारण स्वाइन फ्लू के आईसीयू को अब “मौत का आईसीयू” कहा जाने लगा है। इस बीमारी से हो रही मौतों को लेकर डॉक्टरों के पास एक ही जवाब है कि मरीज एडवांस स्टेज पर आ रहे हैं। ऐसे में उनको बचा पाना असंभव है। डॉक्टरों का कहना है कि इस बीमारी की गिरफ्त में आते ही मरीज को अस्पताल नहीं पहुंचाया गया, तो उसको बचा पाना मुश्किल नहीं, बल्कि असंभव हो जाता है। स्वाइन फ्लू के कारण धुलंड़ी के दिन राज्यभर में सात मौतें हो गई है। अकेले उदयपुर में ही इस बीमारी से पांच लोगों की जानें चली गई है। धुलंडी को मरने वालों में सराड़ा निवासी देवीलाल (४०) पुत्र मोतीलाल, प्रतापगढ़ निवासी बसंती (४०) पत्नी रमेश, मंदसौर निवासी जितेंद्र (२५) पुत्र दिलीप, चित्तौड़ निवासी हरिदास (५२) पुत्र सीताराम, पाली निवासी मंजू (२०) पत्नी सोमाराम शामिल है।
> स्वाइन फ्लू पीडि़त अधिकतर एडवांस स्टेज पर हॉस्पीटल आते हैं और उनकी उम्र भी ज्यादा होती है। ऐसे हालात में रिकवर होने में दिक्कतें पेश आती है। अधिकतर मामलों में मरीजों की लापरवाही ही मौत का कारण बनी है। आईसीयू पूरी सुविधाएं हैं। मरीजों को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
-तरुण गुप्ता, अधीक्षक, एमबी हॉस्पीटल

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