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उदयपुर। जहां जंगल में एक शेर अपनी बादशाहत के चलते सदियों से शिकार करता हुआ आरहा है वही बायलॉजिकल पार्क में उद्घाटन के ठीक पहले चूहों ने मिल कर एक शेर का शिकार कर लिया । पिछले कई दिनों से किडनी और लंग्स में इन्फेक्शन से पीड़ित टाइगर मोनू की कल दिन में मौत हो गयी। एक तरफ जहां इन्फेक्शन की वजह पार्क में चूहों का मूत्र बताया जारहा है , वहीं वन अधिकारी इस तथ्य को लीपापोती करने में लगे हुए है और उनका कहना है कि इन्फेक्शन की सही वजह अभी सामने नहीं आई है। मतलब जब वजह ही सामने नहीं है तो पार्क के दूसरे जानवरों पर भी खतरा मंडरा रहा है ।
डॉक्टरों के अनुसार टाइगर मोनू की मौत लेप्टो स्पाइरोसिस नाम इन्फेक्शन से हुई हे। और यह इन्फेक्शन चूहों की वजह से हो सकता है| पार्क में जानवरों के पिंजरों में मौजूद चूहों के मूत्र को टाइगर द्वारा चाट लिया गया होगा जिसकी वजह से टाइगर की किडनी और लंग्स में इन्फेक्शन होगया और यही इन्फेक्शन मौत की वजह बना ।
बड़ी बात यह हे की प्रदेश के इस पहले बायोलॉजिकल पार्क का 12 अप्रैल को केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर के हाथो उद्गाटन होना था लेकिन उससे पहले ही टाइगर मोनू की दहाड़ बायोलॉजिकल पार्क में ही दफ़न हो गयी। 5 मार्च को बेंगलोर से लाये गए इस टाइगर की दहाड़ बायोलॉजिकल पार्क में एक रोमांच पैदा कर रही थी वही उद्गाटन के बाद मोनू पर्यटको के लिए भी आकर्षण का केंद्र होता। मोनू का गंभीर बीमारी से आमना सामना हो गया 10 अप्रैल को उसके फेंफड़ो में इंफेक्शन होने से उसने अपना डैम तोड़ दिया और इसी के मोनू की दहाड़ भी शांत हो गयी। करीब बीस दिन पहले मोनू बीमारी की जकड में आया उसके बाद प्रदेश के कई हिस्सों से चिकित्सको की टीम ने मोनू का इलाज़ करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। हलाकि सभी प्रयास विफल हुए और उद्गाटन से पहले ही मोनू ने बायोलॉजिकल पार्क के अपने अन्य साथियो और केयर टेकर को अंतिम सलाम कर दिया। मोनू की मौत के बाद अब वन विभाग के अधिकारियो ने पोस्ट मार्टम करा मोनू का अंतिम संस्कार कर दिया साथ ही अब मोनू की मौत का असली कारन जान्ने के लिए उसके सेम्पल इंडियन वेटेनरी रिसर्च इंस्टिट्यूट बरेली भेजे जाएंगे। खेर अब मोनू तो इस दुनिया में नहीं रहा लेकिन बायोलोजिकल पार्क में फ़ैल रहे ये चूहे पार्क के करीब 50 से ज्यादा प्रजातियों के जानवरो की जान के लिए भी खतरा बन सकते हे।

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