fildclubउदयपुर। किसी भी अवैध निर्माण या अतिक्रमण को तोडने के लिए सरकार ने नगर निगम या युआईटी को अधिकृत किया है जो नियमों के अंतर्गत नोटिस देकर कारवाई करती है। लेकिन शहर के सबसे पोश इलाके में स्थित फिल्ड क्लब के बगल में शहर के चुने हुए रसूखदारों ने यह काम पुलिस के दम पर कानूनन और नियमों को ताक पर रख कर कर दिखाया। ८० सालों से काबिज एक परिवार को पुलिस की राठोडी के दम पर मकान ध्वस्त कर दिया। बाद में जब मामला बढ़ा तो फिर पुलिस ने अपनी गलती मानते हुए दोनों पक्षों में समझोता करवाया और रसूखदारों से निर्माण तोडने का हर्जाना भी दिलवाया।
प्रवीण वसीटा का परिवार पिछले ८० वर्षों से रसूखदारों की ऐशगाह फिल्ड क्लब के बगल में रहता आरहा है। मंगलवार दिन में अम्बामाता पुलिस का जाब्ता और जेसीबी अचनाक बिना किसी नोटिस के आगये और जेसीबी से मकान तोड़ दिया। मकान में रहने वाले प्रवीण वसीटा और उनका परिवार पुलिस से गुहार लगाते रहे लेकिन पुलिस ने एक नहीं सुनी। जब कि वहां पर ना तो युआईटी और ना ही नगर निगम का कोई अधिकारी या कर्मचारी मोजूद था जेसीबी भी फिल्ड क्लब के रसूखदारों द्वारा बुलवाई गयी थी। मोके पर मोजूद फतहपुरा पुलिस चोकी इंचार्ज इंदु बाला के अनुसार अम्बामाता थाना अधिकारी के मोखिक आदेश पर पुलिस जाब्ता वहां पर लगाया गया था। इधर थाना अधिकारी चंद्र्पुरोहित का कहना है कि पुलिस ने कोई भी निर्माण नहीं तोड़ा है फिल्ड क्लब के पदाधिकारियों द्वारा उन्हें सूचना दी थी कि अवैध अतिक्रमण को हटाने के दोरान विवाद हो सकता है , तो सतर्कता के लिए पुलिस लगाईं गयी थी। इधर मकान मालिक प्रवीण वसीटा का कहना है कि उसका परिवार पिछले 80 वर्षो से काबिज हे और उन्हें यह जगह राजा महाराजा द्वारा डी गयी है। लेकिन पिछले कई समय से रसूखदारों के ऐशो आराम के लिए लिए बने इस फील्ड क्लब के लोग इस जगह को हथियाना चाहते है। इस वजह से वे पुलिस के साथ मिल उनकी हिष्ट्रीशीट को आगे रख कर इस कारवाही को बेवजह अंजाम दे रहे है। परिवादी ने बताया की उनका यह मकान दादा पड़ दादा के समय से उनके पास हे और उनका परिवार इसपे काबिज़ है। यही नहीं इस मकान के बिजली और नल के कनेक्शन भी पिछले कई दशको से उनके पिताजी के नाम पर है। परिवादी ने आरोप लगाया हे की फील्ड क्लब के रसूखदारों ने पुलिस से मिलीभगत कर इस मकान को बिना नोटिस के तोड़ दिया है। हालाँकि बाद में पुलिस रक्षात्मक रवय्ये पर आगई और प्रवीण वसीटा द्वारा पुराने सारे कागज़ दिखाए जाने के बाद कब्जा भी वापस दिलवाया और तोड़ फोड का हर्जाना भी दिलवाया गया।

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