उदयपुर। नगर निगम शहर को अतिक्रमण मुक्त कराने में असफ ल रही है, इसलिए वह अपनी नाकामी का ठीकरा ठेले वालों पर फोड़ अपने दायित्वों के निर्वहन से बचने का प्रयास कर रही है। यह विचार माकपा पार्षद राजेश सिंघवी ने व्यक्त करते हुए बताया कि लोकसभा में फेरी वाले (आजीविका संरक्षण एवं सड़क फेरीवाला नियमन) विधेयक, 2013 पारित किया गया और इसी परिप्रेक्ष्य में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने 13 सितंबर 2013 को एक निर्णय पारित कर देश की सभी नगर पालिकाओं को यह निर्देश दिया कि वह आदेश के एक माह में स्ट्रीट वेंडिंग कमेटी बना आदेश के चार माह में स्ट्रीट वेंडिंग कमेटी की सिफारिशों अनुसार फुटपाथ एवं सड़क पर फेरी या ठेला लगा अपना व्यवसाय करने वालों को नियमित कर उन्हें लाइसेंस प्रदान करें। उन्होंने कहा कि इस निर्णय में यह भी दिशा-निर्देश पारित किए गए कि स्ट्रीट वेंडिंग कमेटी की सिफारिश अनुसार अगर किसी ठेला व्यवसायी को उसके व्यवसाय स्थल से हटाना आवश्यक हो, तो पहले उसे दूसरे समुचित स्थान पर रोजगार करने के लिए स्थापित करे और यह भी निर्देश जारी किए गए कि किसी भी फेरी या ठैला लगाकर व्यवसाय करने वाले को बिना पुनर्वास किए बेदखल नहीं किया जाए और न ही कोई माल जब्ती की जाए। सिंघवी ने कहा कि उन्होंने नगर निगम उदयपुर को इस कानून की जानकारी पूर्व में देकर इस प्रक्रिया को प्रारंभ करने का आग्रह किया, लेकिन नगर निगम द्वारा कानून की पालना ना कर न्यायालय के आदेश की अवमानना कर शहर के अतिक्रमण व सुंदरता के नाम पर ठेले वालों को आए दिन खदेडऩे के साथ उनका सामान गैर कानूनी रूप से बिना फर्द जब्ती बनाए, जब्त किया जा रहा हैं जो कानून की नजर में लूट एवं डकैती का अपराध भी है।

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