_DSC0315उदयपुर । पूर्व विधानसभाध्यक्ष एवं भामाशाह जयन्ति समारोह के मुख्य अतिथि शांतिलाल चपलोत ने आज भामाशाह सर्कल, हाथीपोल चौराहा पर उपस्थित जनसमूह को सम्बोधित करते हुए कहा कि भामाशाह ने त्याग, तपस्या एवं शौर्य से स्वतंत्रता के पुरोधा महाराणा प्रताप के अनन्य सहयोगी एवं हरावल दस्ते के नायक के रूप में अपने कृतित्व एवं व्यक्तित्व से जो उत्कृष्ठ कार्य किया है वह सदैव चिरस्मरणीय रहेगा। वीरता के साथ भामाशाह ने राष्ट्रहित में अर्थदान के महत्व एवं त्याग को कथनी एवं करनी से जो उत्कृष्ठ उदाहरण प्रस्तुत किया वह विश्व के इतिहास में अनूठा है। आज भी अनेक मोर्चों पर व्यक्ति संघर्ष से जूझ रहा है। ऐसे में प्रत्येक जन अपनी-अपनी क्षमता अनुसार दान एवं सहयोग करें, भामाशाह-वृत्ति बढ़ा कर आगे आएं एवं समाज और राष्ट्र की सामाजिक एवं आर्थिक व्यवस्था में योगदान देकर सच्ची शृद्धांजलि भामाशाह को अर्पित करें।
समारोह के विशिष्ठ अतिथि प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. देव कोठारी ने कहा कि स्वतन्त्रता के महानायक महाराणा प्रताप के बाल्यकाल के साथी एवं हरावल दस्ते के नायक भामाशाह ने कष्टत्तम समय में युद्ध में वीरता से लड़ने के साथ-साथ धन-संग्रह कर महाराणा प्रताप को राशि समर्पण कर स्वाभिमान, स्वावलम्बन एवं स्वदेशी का जो उदाहरण प्रस्तुत किया, वह धरोहर आज भी हमारे लिये अक्षुण है। उसे वर्तमान में भी हर परिस्थिति में क्रियान्वयन करना, भामाशाह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व का सच्चा स्मरण होगा।
समारोह के अध्यक्ष प्रसिद्ध समाजसेवी एवं दानवीर किरणमल सावनसुखा ने भामाशाह को स्मरण करते हुए कहा कि यह स्थल देश एवं विदेश के सैलानियों के साथ-साथ स्थानीय नागरिकों के लिये भी पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जाए। जिससे कि यह प्रेरणा पुंज स्थल आने वाली पीढ़ी को भामाशाह वृत्ति उत्तरोत्तर बढ़ाने में एवं जो मैरा है वह राष्ट्र का है इस कथन को साकार करने में सफल हो यही भामाशाह के कृतित्व का प्रेरणा-पथ बने।
प्रताप जयन्ति समारोह के मुख्य संयोजक एवं कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि प्रेमसिंह शक्तावत ने कहा कि महाराणा प्रताप एवं भामाशाह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से आज भी प्रत्येक मेवाड़वासी विश्व में गौरवान्वित होता है। इस कृतित्व को अक्षुण रखने हेतु नगर निगम उदयपुर आने वाले समय में महाराणा प्रताप के हरावल दस्ते के समस्त नायकों को भी विभिन्न स्थलों पर प्रेरणा केन्द्र एवं स्थल निर्मित करेगा।
चैम्बर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष एवं कार्यक्रम के विशिष्ठ अतिथि पारस सिंघवी ने भामाशाह के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रत्येक जन अपनी यथाशक्ति अनुसार भामाशाह वृत्ति को जीवन के अन्तिम श्वास तक जीवित रखकर समाज के लिए अनुकरणीय बनें।
मंच के मुख्य संरक्षक प्रमोद सामर ने कहा कि भामाशाह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को आगामी पीढ़ी तक अनुकरणीय बनाने में महावीर युवा मंच इस वर्ष इस कार्ययोजना को हाथ में लेकर भामाशाह के जीवन से संबंधित प्रसंग स्थलों को ऐतिहासिक धरोहर के रूप में अक्षुण रखने हेतु कार्य करेगा। देश एवं प्रान्त में भामाशाह के नामकरण से विविध स्थलों एवं संसाधनों को विशिष्ठ पहचान मिले इस हेतु प्रयासरत रहेगा। भामाशाह की छतरी को भी ऐतिहासिक महत्व दिलाने हेतु सम्पूर्ण प्रयास किये जाऐंगे।
मंच अध्यक्ष निर्मल पोखरना ने सभी अतिथियों एवं सहभागियों का स्वागत करते हुए कहा कि मंच भामाशाह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को एक ग्रन्थ के रूप में प्रकाशित करेगा तथा विभिन्न प्रकल्पों के माध्यम से वर्ष पर्यन्त कार्यक्रम करेगा। कार्यक्रम संयोजक अर्जुन खोखावत ने भामाशाह के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला। जन्म से देहावसान तक के सम्पूर्ण जीवन वृत को जनता के सम्मुख रखा। आभार मंच महामंत्री मनोज मुणेत ने आगामी योजनाओं की जानकारी के साथ दिया।
कार्यक्रम सहसंयोजक कमल कांवड़िया एवं नीरज सिंघवी ने भामाशाह के प्रतीक चिह्न को अतिथियों को मेवाड़ी पगड़ी पहनाते हुए भेंट किये।
समारोह के अन्त में विभिन्न समाजों के अध्यक्ष एवं संस्थाओं के प्रमुख तथा इतिहासकारों का अतिथियों ने भामाशाह का प्रतीक चिह्न भेंट करते हुए विश्वास व्यक्त किया कि यह वृत्ति बढ़ाने में सभी जन सहयोगी बनेंगे।
समारोह के प्रारम्भ में सभी अतिथियों एवं समाज प्रमुखों द्वारा भामाशाह की मूर्ति के समक्ष ‘‘भामाशाह अमर रहे-अमर रहे‘‘, ‘‘जब तक सूरज चांद रहेगा – भामाशाह का नाम रहेगा‘‘ के उद्घोष के साथ पुष्पांजलि एवं माल्यार्पण किया गया। समारोह में पूर्ण समय मंच से गायक कलाकारों द्वारा गीत एवं भजनों के माध्यम से भामाशाह को स्मरणांजलि दी गई।
समारोह के प्रारम्भ में महावीर युवा मंच की महिला प्रकोष्ठ ने गीतिका प्रस्तुत की।
समारोह में उपस्थित विभिन्न समाजों के प्रमुख एवं पदाधिकारियों ने भी पुष्पाजंलि अर्पित की जिसमें आर. के. धाबाई, बंशी कुम्हार, सत्यनारायण चौधरी, भंवरसिंह पंवार, भंवर सेठ, गोविन्द सोनी, भगवान गहलोत, भोपाल सिंह दलाल, उंकारलाल सिरोया, भीलू लाल निमावत, मोड़ी लाल पूर्बिया, भरत पूर्बिया, रमेश जीनगर, प्रहलाद चौहान, मोहनसिंह राठौड़, भगवान खारोल, देवीलाल सालवी, प्रकाश कुमावत, देवेन्द्र साहू, नानालाल दशोरा, भरत पूर्बिया, राजेन्द्र सेन, शोभाग सिंह नाहर, नरेन्द्र सिंघवी, शिव बापना, धनराज लोढा, गौतम सुखलेचा, जीवराज सोनी, नरेश टोडावत, पवन जावरिया, धोलाराम पानवाला, मुरली मनोहर बन्धु, मुरलीधर गट्टानी, विनोद राठौड़, ओम अग्रवाल आदि ने भी पुष्पांजलि अर्पित की।
इस अवसर पर मंच के पदाधिकारी राजेश चित्तौड़ा, भगवती सुराणा, हर्षमित्र सरूपरिया, नीरज सिंघवी, बसन्त खिमावत, रमेश सिंघवी, अरविन्द सरूपरिया, नेमी जैन, सतीश पोरवाल, अशोक लोढा, संजय नागौरी, मुकेश हिंगड़, तुक्तक भाणावत आदि ने भी भामाशाह को पुष्पांजलि एवं माल्यार्पण कर श्रृद्धांजलि अर्पित की।
समारोह के पश्चात् मंच के समस्त पदाधिकारी एवं सदस्य महासतिया स्थित भामाशाह की छतरी स्थल पर गये एवं पुष्पांजलि अर्पित की एवं उक्त स्थल के जीर्णोद्धार एवं नवीनीकरण हेतु सम्पूर्ण प्रयास करने का संकल्प लिया।

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