उदयपुर। उदयपुर ग्रामीण विधानसभा सीट पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला दिखाई पड़ रहा है। इस सीट से कांग्रेस की तरफ से वर्तमान विधायक सज्जन कटारा है और कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर बागी हुए देवेंद्र मीणा ने भी पूरे दमखम के साथ निर्दलीय प्रत्याशी के साथ मैदान में ताल ठोक दी है। इस सीट पर वे तीसरी शक्ति के रूप में उभरे हैं। उनके समर्थन में कई कांग्रेसी पदाधिकारी है। भाजपा ने पार्षद फूलसिंह मीणा को इस सीट से उतारा है। देवेंद्र मीणा के दिन-रात के चुनावी दौरे कांग्रेस के वोट बैंक में सेंधमारी कर रहे हैं। ग्रामीण में दो लाख, नौ हजार 427 मतदाताओं वाली एसटी के लिए आरक्षित इस सीट के लिए एक लाख आठ हजार 164 पुरूष एवं एक लाख १263 महिलाएं मतदान करेंगे। सज्जन कटारा पिछली बार 10 हजार से अधिक मतों से यहां से विजयी हुई थी।
परिवारवाद पड़ सकता है भारी: उदयपुर ग्रामीण सीट पर पिछली बार कांग्रेस का कब्जा रहा है, जहां से पूर्व राज्यमंत्री खेमराज कटारा की पत्नी सज्जन देवी कटारा विधायक रही है। सज्जन कटारा पर अपने ही परिवार को बढ़ावा देने का आरोप है और इससे कई कांग्रेसी पदाधिकारी खफा भी है, जिसका खामियाजा उन्हें चुनाव में भुगतना भी पड़ सकता है। यहां से टिकट के दावेदारों की लंबी सूची थी, जिसमें सज्जन कटारा के साथ ही उनके पुत्र विवेक कटारा ने भी टिकट की मांग की थी। विवेक कटारा वर्तमान में युवक कांग्रेस के प्रदेश महासचिव है। उनकी पुत्रवधू गिर्वा प्रधान है। कटारा पर परिवारवाद का आरोप है।
मीणा को मान रहे हैं बाहरी प्रत्याशी: इधर, भाजपा ने अपने बिल्कुल नए प्रत्याशी को चुनाव मैदान में उतारा है। यह चेहरा फूलसिंह मीणा के रूप में सामने आया है। मीणा वर्तमान में उदयपुर नगर निगम में पार्षद है तथा लम्बे समय से भाजपा से जुड़े रहे है, लेकिन मीणा पर बाहरी प्रत्याशी होने की छाप लगी है तथा राजनीतिक रूप से उन्हें इतना सक्षम भी नहीं माना जा रहा है, क्योंकि वार्ड के अतिरिक्त उनकी अन्य जगहों पर पकड़ नगण्य है, केवल गुलाबचंद कटारिया के आशीर्वाद से इन्हें टिकट मिला है। इसी बात को लेकर इस क्षेत्र से भाजपा के लिए वर्षों से संघर्ष कर रहे भाजपा कार्यकर्ताओं में भी अंतर्विरोध है। इसी वजह से चुनावी दौरे के दौरान उनके साथ कोई बड़ा भाजपा पदाधिकारी मौजूद नहीं रहता है।
बागी बन सकता है सबका रोड़ा
कांग्रेस को अपने बागी देवेंद्र मीणा से जूझना है। इस सीट के लिए प्रबल दावेदार जताने वाले देवेन्द्र मीणा दो दशकों से कांग्रेस से जुड़े है तथा रियल स्टेट व्यवसाय से जुड़े मीणा आर्थिक दृष्टि से भी सम्पन्न हैं। कांग्रेस से टिकट नहीं मिलने पर उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप मे चुनाव लडऩे का निर्णय लिया। उन्होंने सज्जन कटारा पर परिवारवाद का आरोप लगाते हुए निष्ठावान कार्यकर्ताओं को अपने साथ जोड़ लिया है। उनका कहना है कि सज्जन कटारा विधायक, उनके पुत्र युवक कांग्रेस के महासचिव तथा पुत्रवधू गिर्वा पंचायत समिति की प्रधान। ऐसे में दूसरे कार्यकर्ताओं को कहां तरजीह मिलेगी। देवेन्द्र मीणा के समर्थन में 90 से अधिक कांग्रेस कार्यकर्ता एवं पदाधिकारी कांग्रेस से इस्तीफा देकर मैदान में उतर चुके हैं। हालांकि पार्टी ने अभी तक उनके इस्तीफे की पुष्टि नहीं की है, लेकिन उनका चुनाव प्रचार बता रहा है कि वे कांग्रेस प्रत्याशी की आसान जीत में रोड़ा बने हुए है।
वोटों की गणित भी बागी के पक्ष में
इस सीट पर एसटी मतदाताओं की संख्या अधिक है। उसके बाद ब्राह्मण एवं मुस्लिम मतदाता है। एसटी के मतदाताओं का सज्जन कटारा एवं देवेंद्र मीणा में मत विभाजन तय है। मुस्लिम मतदाता परंपरागत रूप से कांग्रेस प्रत्याशी को ही वोट देंगे, लेकिन इस बार उनके सामने देवेंद्र मीणा के रूप में एक और विकल्प है। ब्राह्मणों की टिकट वितरण में नाराजगी भी भाजपा मतों को निर्दलीय की तरफ मोड़ सकती है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस प्रत्याशी सज्जन कटारा की जीत जहां आसान मानी जा रही थी। अब मुकाबला त्रिकोणीय होकर बागी के पक्ष में भी जा सकता है।

Previous articleब्राह्मणों को मनाने पहुंचे कटारिया के सामने नारेबाजी
Next articleतलवार दंपति को फांसी हो: हेमराज की पत्नी
Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here