उदयपुर। लोेककलाओं एवं शिल्प का महावुंâभ दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव २१ दिसम्बर से हवाला स्थित शिल्पग्राम में आयोजित होगा। उत्सव में देश के २१ राज्यों के छः सौ लोक कलाकार एवं एक हजार शिल्पी झीलों की नगरी में अरावली की उपत्यकाओं के मध्य अपनी संस्कृति के रंग बिखेरेंगे।
पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र के निदेशक पुâरकान खान ने बताया कि उत्सव का उद्घाटन राज्यपाल कल्याणसिंह करेंगे जबकि प्रदेश के गृहमंत्री गुलाबचन्द कटारिया विशिष्ट अतिथि होंगे खाने ने बताया कि भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली, विकास आयुक्त हस्त शिल्प नई दिल्ली, विकास आयुक्त हथकरघा, ट्राइपेâड व राष्ट्रीय पटसन विकास बोर्ड तथा देश के अन्य क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों के सहयोग से आयोजित इस दस दिवसीय उत्सव में केन्द्र के सदस्य राज्य राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, गोवा तथा केन्द्र शासित प्रदेश सिलवास के अलावा दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, जम्मू व कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखण्ड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ, पश्चिम बंगाल, ऑडीशा, अरूणाचल प्रदेश, असम, मेघालय, मिजोरम, नागालैण्ड, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम, तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक इत्यादि राज्यों से शिल्पकार व लोक कलाकार उदयपुर आयेंगे।
उन्होंने बताया कि उत्सव के दौरान दोपहर ११ बजे मेला प्रारम्भ होगा तथा टिकिट काउन्टर १० बजे खुल जायेगें। हाट बाजार में से शिल्प प्रदर्शन के साथ-साथ शिल्पग्राम परिसर के विभिन्न मंचों मुख्य द्वार के समीप आंगन, ढोल झोंपडी के सामने चौपाल, भुजोडी व पेठापुर झोंपडी के समीप बने गुर्जरी मंच पर दोपहर १२ बजे लोक कलाकारों द्वारा नृत्य प्रस्तुतियां दी जाएगी तथा शाम ६ बजे से मुक्ताकाशी रंगमंच `कलांगन’ पर सांस्कृतिक प्रस्तुतियां होंगी। केन्द्र निदेशक खान ने बताया कि उत्सव में मुख्यत: गोटीपुवा (ऑडीशा), रायबेन्शे व बाउल गायन (पश्चिम बंगाल), वीरईनटनम (पाण्डेचेरी), छकरी, कावा, डोगरी, रौफ, भूमरौ (जम्मू व कश्मीर), मयूर (उत्तरप्रदेश), छापेली व घसियारी (उत्तराखण्ड), गिद्दा (पंजाब), देखणी (गोवा), संबलपुरी, सिद्दी धमाल (गुजरात), लावणी (महाराष्ट्र), कडगम (तमिलनडु), बिहू (असम), पुंग ढोल चोलम व स्टिक डांस (मणिपुर), सिंगी छम (सिक्किम) लोक नृत्यों का प्रदर्शन प्रमुख आकर्षण का केन्द्र होगा।
नए प्रस्तुतीकरण होंगे : केन्द्र निदेशक पुâरकान खान ने बताया कि उत्सव के उद्घाटन अवसर पर २१ व २२ दिसम्बर को केन्द्र द्वारा विशेष रूप से तैयार सिम्फनी “लोक नाद” प्रस्तुत की जायेगी जिसमें विभिन्न लोक वाद्य यंत्रों की ध्वनियों का समावेश किया गया है। उत्सव में २३ व २४ दिसम्बर को संगीत नाटक अकादमी नई दिल्ली के सौजन्य से “नृत्यरूपा” की प्रस्तुति विशेष आकर्षण का केन्द्र रहेगी।
पहली बार केरल से बैंबू म्यूजिक के दल को विशेष तौर पर बुलाया गया है। यह दल बैम्बू की सहायता से विभिन्न प्रकार के सांगीतीय प्रयोग करेंगे।
मृण कला का आकर्षण : उत्सव में मृण कला के जीवन्त प्रदर्शन तथा नव सृजन को बढावा देने के लिये तमिलनाडु के अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मृदा शिल्पकार तंगैया व उनके साथी तथा बिहार के लाला पंडित व उनके सुपुत्र को आमंत्रित किया गया है जिनके बनाये विशालकाय मृदा मूर्ति शिल्प एक ओर जहां उत्सव के आकर्षण का केन्द्र होंगे वहीं इनको सृजन करते देखना आगंतुकों के लिये एक नया आकर्षण होगा। साथ ही बच्चों के लिये विशेष रूप से `बाल संसार’ की गतिविधियाँ शिल्पग्राम की सम झोपडी में आयोजित होंगी। इसके अंतर्गत बालकों के लिये कपडे के खिलौने बनाना, पेपर मेशी से मुखौटे बनाना व जादू कला प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। शिल्पग्राम उत्सव के दौरान ही संगम सभागार में चित्रकला प्रदर्शनी `अभिव्यक्ति’ का आयोजन होगा।

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