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IMG_0027ताम्र पाषाणकाल कालिन संस्कृती है पछमता
खेती भी जानते थे पछमता निवासी

उदयपुर, राजसमन्द जिले के गिलुण्ड कस्बे से 8 किलोमिटर दूर पछमता गांव में हो रहे उत्खनन पर पर पुरातत्वविदों का ध्यान बट गया है। उत्खनन कार्य के निदेशक डॉ. ललित पाण्डे ने बताया कि गुरूवार को जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस. एस. सारंगदोवोत और कुल प्रमुख भवरलाल गुर्जर ने उत्खनन कार्य का विधिवत श्रीगणेश किया वहा पुजा अर्चना भी की गई। अमेरिका के केनेसा स्टेट यूनिवर्सिटी, इण्डियाना यूनिवर्सिटी तथा डेकन कॉलेज ऑफ पूने के सयुक्त तत्वावधान में यह उत्खनन भारतिय पूरातत्व सर्वेक्षण के अन्तर्गत चल रहा है। डॉ. पाण्डे ने बताया कि केनेसे यूनिवर्सिटी की टेरेसा रेक, कोनर गोड्यू, चाल्स ब्रमुलर, इन्टीनियों मेनडेज तथा डेकन कॉलेज पूने के प्रबोद श्रीवल्कर, इशाप्रसाद व अन्य शोधार्थी उत्खनन में जुटे है।
डॉ. पाण्डे ने बताया कि आहाड सभ्यता के 110 स्थल बनास नदी के किनारे बसे है जिनमें पछमता गांव भी शामिल है। इस गांव में 5 टिले होने के कारण इसका नांम पछमता रंखा गया है। टिले के उपर पुरानी बाबा की मजार व समिप स्कूल बना हुआ है। ज्यादातर क्षेत्र पर खेती हो रही है।

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