IMG_3238सामाजिक बदलाव के लिए आजीवन षिक्षण महत्वपूर्ण – प्रो. रेड्डी
भारतीय प्रौढ़ षिक्षा संघ तीन दिवसीय अधिवेषन सम्पन्न
प्रो.के.सी. चौधरी बने अध्यक्ष
उदयपुर , भारतीय प्रौढ़ षिक्षा संघ तथा जनार्दनराय नागर राजस्थान विद्यापीठ विष्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित तीन दिवसीय प्रौढ़ षिक्षा संघ का तीन दिवसीय अधिवेषन राजस्थान विद्यापीठ के प्रतापनगर स्थिति कम्प्यूटर साईंस एण्ड इन्फोरमेषन एण्ड टेक्नोलॉजी के सभागार में सम्पन्न हुए।
समापन समारोह के मुख्य अतिथि प्रो. बी.एस. गर्ग ने कहा कि जीवनपयन्त षिक्षा एक ऐसी षिक्षा है जो स्वेच्छा और अन्तप्रेरणा से व्यक्तिगत अथवा व्यवासायिक स्तर पर ज्ञान प्राप्त करने की निरंतर प्रक्रिया है। षिक्षा की इस पद्धति से प्रतिस्पर्द्धा और रोजगार के अवसरों में वृद्धि करने में सहायता करती है। साथ ही यह पद्धति इस तथ्य को बढावा देती है कि सीखने की प्रवृति को बाल्यकाल अथवा प्रौढ अवस्था अथवा कक्षा कक्ष तक सीमित नहीं किया जा सकता। अतः जीवनपर्यन्त षिक्षा व्यक्ति अपने जीवनकाल में कभी भी ले सकता है। समारोह के मुख्य अतिथि कुप्पन विष्वविद्यालय बंगाल के रजिस्ट्रार प्रो. पी.ए. रेड्डी ने कहा कि समाज के लिए आजीवन षिक्षा एक महत्वपूर्ण कार्य व्यवहार है तथा सामाजिकता की दृष्टि से मानसिकता बनाकर कार्य करना होगां।
IMG_3224 अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा कि जीवनपर्यन्त षिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो नवीनतम ज्ञान से कदमताल मिलाकर चल सके। यह षिक्षा समय की आवष्कता है क्योंकि उदार आर्थिक नीतियों और सूचना विज्ञान के कारण प्रत्येक दिन और प्रत्येक क्षण ज्ञान के नये आयाम आ रहे है।
इस अवसर पर प्रौढ़ षिक्षा संघ के महासचिव कैलाष चन्द्र चौधरी, डॉ. मदन सिंह, निदेषक डॉ. वी. मोहन कुमार, प्रो. एम.एस. राणावत ने भी अपने विचार व्यक्त किएं।
पुस्तक विमोचन:-
समापन समारोह में लेखक एवं वरिष्ठ साहित्यकार लक्ष्मी रूपल द्वारा लिखित लघु कथा संग्रह ‘‘आप ठीक कहते है’’ का विमोचन किया गयाा।
प्रौढ़ षिक्षा संघ के आम चुनाव सम्पन्न:-
भारतीय प्रौढ़ षिक्षा संघ के निदेषक एवं चुनाव अधिकारी डॉ. वी. मोहन कुमार ने बताया कि रविवार को हुए चुनाव में अध्यक्ष पद पर मध्यप्रदेष के कैलाष चौधरी निर्विरोध निर्वाचित हुए, उपाध्यक्ष पद पर सुधीर चटर्जी, प्रो. मनोहर सिंह राणावत, डॉ. वी. रघु, डॉ. एस.वाई. शाह, डॉ. निषांत फारूख, महासचिव पद पर डॉ. मदन सिंह, संयुक्त सचिव पद पर एस.सी. खण्डेलवाल, कोषाध्यक्ष पद पर डॉ. पी.ए. रेड्डी निर्वाचित हुए , एसोसिएट सचिव के पद पर डॉ. अजमत हु सेन खां, डॉ. मृणाल. पंत, डॉ. एल. राजा, डॉ. सरोज गर्ग एवं 8 कार्यकारिणी सदस्य चुने गये।
तकनीकी सत्र:-
तीन दिवसीय सेमीनार में 200 सौ से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया तथा 247 पत्रों का वाचन हुआं।
ये आये सुझाव:-
01. जीवनपर्यन्त षिक्षा षिक्षा पद्धति का अनिवार्य अंग होना चाहिए और इसे अनौपचारिक षिक्षा पद्धति के बराबर महत्व प्रदान किया जाना चाहिए।
02. पूर्व षिक्षा को मान्ययता प्रदान करने की जरूरत है ताकि वे पारम्परिक माध्यमों से प्राप्त हुनर का मूल्यांकन कर षिक्षार्थी की योग्यता के प्रमाणित किया जा सकें और उसे प्रमाण पत्र दिया जा सके।
03. विस्तार कार्यक्रमों को विष्वविद्यालय षिक्षा के तृतीय आयम के रूप में स्वीकृत प्रदान किया जाना चाहिए और इसे विष्वविद्यालय के सभी विभागों में खोला जाना चाहिए ताकि षिक्षार्थी को वर्तमान हालात और समाज से जोड़ा जा सके।
04. जीवनपर्यन्त षिक्षा के क्षेत्र में अनेक कार्यक्रम चलाये जा रहे है लेकिन उनमें समानता को अभाव है। इसलिए ऐसे कारकों का समावेष किया जाना चाहिए जिनसे इन सभी कार्यक्रमों में समानता लाई जा सके।
05. विष्वविद्यालय में संचालित प्रौढ़ और निरंतर एवं विस्तार षिक्षा विभाग को ज्यादा से ज्यादा आर्थिक मदद प्रदान की जानी चाहिए ताकि वे सभी प्रकार की षिक्षार्थियों के लिए अन्य अवधि कार्यक्रम चलाये जा सके।
समारोह का संचालन नेहा सिंघवी ने किया, धन्यवाद की रस्म डॉ. वी. मोहनकुमार ने अदा की।

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