हर कार्य में बच्चों का उपयोग करना बाल अधिकारों का हनन
बाल मजदूरी समाप्त करने में समाज के योगदान की आवष्यकता

विश्वविद्यालय विधि महाविद्यालय द्वारा आयोजित ‘‘विस्तार व्याख्यानमाला’’ में आज राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य गोविन्द बेनीवाल ने बालकांओ के अधिकारों एवं उनसे सम्बन्धित कानूनी प्रावधानों पर विस्तार से विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आज हर कार्य में चाहे वह चुनाव आयोग द्वारा इस बार चलाया गया मतदाता जागरूकता अभियान हो, या किसी मंत्री या अधिकारी या नेता का कोई कार्यक्रम हो या फिर अन्य कोई भी कार्यक्रम जिसमें बच्चों का उपयोग किया जाता है खुलम-खुला बाल अधिकारों का उल्लंघन है। वर्तमान में बालक अधिकारों के संरक्षण से सम्बन्धित विभिन्न कानूनी एवं संवैधानिक अधिकार उपलब्ध होने के बावजुद भी हमारे समाज में पर्याप्त जानकारी एवं सजगता का अभाव पाया जाता है। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग बालकों के अधिकारों के रक्षा हेतु सतत् रूप से राजस्थान मेें कार्यरत है। वर्तमान में देष भर मेें 23 राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग कार्यरत है। गोविन्द बेनीवाल में अपने उद्बोधन मंे बालकों से सम्बन्धित कानूनों के तहत चलाये जा रहे विभिन्न बाल संरक्षण गृहों, बाल सुधार गृहों की जानकारी दी ओर बताया कि शीघ्र ही देश भर में बाल न्यायालय का गठन किया जायेगाा। राज्य के निजी विद्यालयों में शिक्षा के अधिकार के तहत् 25 प्रतिशत आरक्षित स्थान समाज के पिछडें बच्चों को वास्तव में लाभ नहीं मिल रहा है जो दुःखद स्थिति है। परिवार एवं अन्य स्थानों में बच्चों के साथ हो रहे अन्याय एवं अत्याचार के लिए कोई अलग से अधिनियम नहीं है। बालकों की आयु अलग-अलग अधिनियमों में अलग-अलग है इसको अन्तर्राष्ट्रीय मानदण्डों के अनुरूप 18 वर्ष किया जाना चाहिए। कार्यक्रम में विधि महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आनन्द पालीवाल, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ. शिल्पा सेठ एवं राष्ट्रीय सेवा योजना कार्यक्रम अधिकारी डॉ. राजश्री चौधरी एवं अन्य संकाय सदस्य तथा शोधार्थी तथा छात्र संघ अध्यक्ष अक्षय सिंह राणावत अन्य छात्र-छात्राऐं उपस्थित थे।

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