सरेआम अश्लील प्रचार, विज्ञापनों में लाखों का घोटाला
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उदयपुर। शहर का प्रमुख चौराहा सुखाडिय़ा सर्किल इन दिनों एक नये कारण से प्रसिद्ध हो रहा है। यह कारण है, वहां स्थापित एक केप्सूल नुमा ढांचा, जिस पर क्रकामसूत्रञ्ज कंपनी ने अपने एक डियोडरेंट-स्प्रे का विज्ञापन लगाया है। जो भी इसे देखता है, वह यही कहता नजर आता है-क्रक्ररजनीजी ने यह क्या खड़ा कर दिया?, वाह री महापौर!ञ्जञ्ज
कुल मिलाकर उक्त विवादित विज्ञापन से महापौर रजनी ही नहीं, आदर्शवादी भारतीय जनता पार्टी की भी खूब किरकिरी हो रही है। साथ ही नगर निगम से हमारे ऐतिहासिक शहर की मान-मर्यादा के अनुरूप आचरण करते रहने की अपेक्षा भी की जा रही है। इस विज्ञापन में कामसूत्र ब्रांड ने दावा किया है कि कामसूत्र-स्प्रे सात इंच इमेज बूस्ट करता है, जिसे क्रक्रमैन कांट मिस एंड वुमेन कांट रेसीस्ट।ञ्जञ्ज
इस प्रकार कामसूत्र कंपनी नगर निगम के कंधे पर सवार होकर योनांग को बढ़ाने का झूठा दावा करते हुए नगरवासियों के साथ सरेआम ठगी का व्यापार कर रही है।
इस कंपनी का अनुबंध एनएस पब्लिसिटी नामक कंपनी से है और एनएस पब्लिसिटी का अनुबंध नगर निगम से हुआ है। निगम से अनुबंध करने वाली कंपनी ने ही सुखाडिय़ा सर्किल पर पुरूष जननांग जैसा ढांचा बनवाकर उस पर इस स्प्रे का प्रचार करने के लिए कामसूत्र कंपनी से लाखों रुपए प्राप्त किए और नगर निगम को फूटी कौड़ी तक नहीं दी। नगर निगम उक्त कंपनी से लाखों रुपए मांगती है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी की प्रचार सामग्री मुफ्त में तैयार कर देने के एवज में उसे अश्लीलता फैलाने तक की छूट भी मिल गई है।
ये क्या खड़ा कर दिया…
बोर्ड की हर बैठक में उठता है मुद्दा
जिस तरह अतिक्रमण का मुद्दा नगर निगम की हर बोर्ड बैठक में उठता है, वैसे ही एनएस पब्लिसिटी के लाखों रुपए के बकाया का मुद्दा हर बोर्ड बैठक में उठता है। चाहे महापौर हो या नगर निगम कमिश्नर सिर्फ क्रदिखवाते है।ञ्ज यह कहकर बात को दबा देते हैं। कई बोर्ड की बैठकों में तो विपक्ष द्वारा एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड करने को लेकर प्रदर्शन भी किया गया।
जन प्रतिनिधियों के मुंह पर भी लग जाते हैं ताले
एनएस पब्लिसिटी पर कार्रवाई या लाखों रुपए की वसूली की बात आते ही अधिकतर जन प्रतिनिधियों के मुंह पर भी ताले लग जाते हैं। कोई बोलने की स्थिति में नहीं होता। क्योंकि अधिकतर जनप्रतिनिधियों के बैनर पोस्टर और बड़े-बड़े होर्डिंग का खर्च उन्हें लगाने के लिए साइट उपलब्ध करवाना आदि यह सब सेवाएं एनएस एजेंसी निशुल्क देती है। इसी एहसान में दबकर कोई कुछ नहीं बोलता।
33 साइट में से आधे का पैसा नहीं आया
शहर में रोड फर्निशिंग और गेंटरियों को लेकर 33 साइटों का ठेका है, लेकिन पैसा नगर निगम को अभी तक आधे से भी कम साइटों का मिला है। बकाया राशि को लेकर सभी के तर्क अलग-अलग है। एनएस पब्लिसिटी के जिम्मेदारों से पूछो, तो कहते है कि हमें जगह ही नहीं दी गई। नगर निगम के जिम्मेदार अधिकारी कहते है कि बकाया पैसा वसूला जाएगा। कब और कैसे यह नहीं पता? जबकि हकीकत यह है कि जहां-जहां पर विज्ञापन की अच्छी आय थी, वहां पर तो गेंट्रियां-बोर्ड आदि लगा दिए गए, लेकिन जहां से आय कम थी, वहां मिलीभगत से सालों से घोटाला चल रहा है।
सात साल पहले हुआ अनुबंध, लाखों रुपया बकाया
एनएस पब्लिसिटी का सात साल पहले अनुबंध हुआ था, जिसमें रोड फर्निशिंग व गेंटरियों के लिए शहर के 33 स्थानों पर नगर निगम ने जगह दी थी, इन पर यह विज्ञापन एजेंसी को अपना ढांचा खड़ाकर विज्ञापन लगाने तथा उनकी देखरेख करने का अधिकार दिया गया। सालाना 33 लाख में हुआ ठेका साल दर साल नियम के मुताबिक़ बढऩा भी था, लेकिन नगर निगम के अधिकारियों और राजस्व समिति तथा महापौर की मेहरबानी के चलते अभी तक यह लाखों रुपए हड़पकर बैठा है। ना तो कभी इस विज्ञापन एजेंसी को ब्लैक लिस्टेड किया गया और ना ही इस पर कोई कार्रवाई की गई। सालों से इसकी मनमर्जी चलती आ रही है।
:मैं अभी शहर जिलाध्यक्ष दिनेश भट्ट के साथ गुजरात में चुनाव प्रचार पर हूं। इस विज्ञापन की मुझे जानकारी नहीं है। उदयपुर आते ही इस विज्ञापन को हटवाता हूं।
-दुर्गेश शर्मा, अध्यक्ष, राजस्व समिति

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