Whatsapp-virus-cover-664x374-510x300Whatsapp-virus-cover-664x374-510x300उदयपुर। वाट्सएप से पुलिस को परेशानी हो रही है। कारण यह है कि वाट्सएप से भेजे जाने वाले मैसेज पुलिस ट्रेस नहीं कर पा रही है। वाट्सएप की यही खासियत पुलिस डिपार्टमेंट के सर्विलांस सेल के लिए परेशानी का सबब बन गई है। आप सोच रहे होंगे कि किस बात की परेशानी है सर्विलांस सेल को, हाई फाई टेक्निक से लैस हैं, हर क्रिमिनल की एक्टिविटी को वॉच कर उसको सलाखों के पीछे पहुंचाते हैं, तो फिर टेंशन किस बात की? अरे भाई यही तो टेंशन है कि आजकल क्रिमिनल्स इनकी रडार पर नहीं आ रहे हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि ऐसा क्यों हो रहा है? ऐसा इसलिए हो रहा है, क्योंकि क्रिमिनल्स भी अब फोन पर बात करने से बेहतर वाट्सएप का यूज करना समझ रहे हैं और वाट्सएप न ही सर्विलांस के जरिये ट्रेस हो सकता है और न ही पुलिस इसको ट्रेस कर सकती है।

क्या है वाट्सएप

वाट्सएप एक ऐसा एप्लीकेशन है जिसका यूज नॉर्मली स्मार्ट फोन पर चैट करने के लिए किया जाता है। फोन पर नेट के जरिए प्ले स्टोर से इस एप्लीकेशन को डाउनलोड करने के बाद इसमे एकाउंट क्रिएट करना होता है। नॉर्मली अपने मोबाइल नंबर से ही इस एप्लीकेशन पर रजिस्ट्रेशन कराना होता है, ताकि मोबाइल नंबर आइडेंटिफाई हो सके और इस पर चैट करने वाले की पहचान हर कोई कर ले, लेकिन क्रिमिनल्स अपने फोन नंबर के बदले किसी फर्जी नंबर से इस पर रजिस्ट्रेशन कर इस एप्लीकेशन का यूज कर रहे हैं। इसके चलते सर्विलांस सेल क्रिमिनल्स की इन चालबाजियों के आगे पूरी तरह से फेल हो चुका है।

अलग सर्वर पर करता है वर्क

वैसे मोबाइल पर यूज होने वाले हर एप्लीकेशन मोबाइल सर्वर से ही जुड़े होते हैं और इस पर ही वर्क करते हैं, लेकिन वाट्सएप समेत अन्य दूसरे चैट एप्लीकेशन अपने खुद के सर्वर पर रन करते हैं। इस बारे में मोबाइल सॉफ्टवेयर इंजीनियर बताते हैं कि आज के दौर में हर कोई सीक्रेसी चाहता है। चूंकि सबको पता है कि पुलिस कभी भी किसी का भी मोबाइल नंबर सर्विलांस पर सुन सकती है। इसलिए हर कोई अब वाट्सएप समेत दूसरे चैट मोबाइल एप्लीकेशन की ओर डायवर्ट हो रहा है। चूंकि ये सारे एप्लीकेशंस मोबाइल पर नेट के जरिये ऑपरेट होते हैं और इन पर रजिस्ट्रेशन के लिए कोई शर्त नहीं होती। इसलिए लोग आसानी से फर्जी तरीके से इस पर रजिस्ट्रेशन कराकर इसका यूज करते हैं। पुलिस इन एप्लीकेशंस को ट्रेस इसलिए नहीं कर सकती क्योंकि ये सारे एप्लीकेशंस मोबाइल सर्वर पर नहीं बल्कि खुद के सर्वर से ऑपरेट होते है।

नहीं पढ़ सकते मैसेज

वैसे पुलिस का सर्विलांस सेल किसी क्रिमिनल का फोन नंबर सर्विलांस पर डालकर उसकी सारी बातें बैठे-बैठै ही सुनता है और उसकी लोकेशन भी ट्रेस कर लेता है, लेकिन वाट्सएप समेत दूसरे चैट एप्लीकेशंस को ट्रेस तो करना दूर, इसके मैसेजेज को पढऩा नामुमकिन है। वाट्सएप, निम्मबज, जी टॉक समेत कई ऐसे एप्लीकेशंस है तो जिन पर सिर्फ मैसेज ही भेजे जाते हैं। मैसेज में लिखकर, वीडियो और फोटोज भी जाती है। चूंकि इन एप्लीकेशंस से जुड़ी कम्पनियों का सर्वर अलग होता है। इसलिए इनके जरिए भेजे गए मैसेजेज को सर्विलांस सेल ट्रेस नहीं कर पाता और न ही इन पर पड़े मैसेजेज पढ़ पाता है।

कम्पनी चाहे तो है संभव

हालांकि पुलिस विभाग के आला अधिकारी क्रिमिनल्स के इन हाई फाई तरीकों के आगे हार मानने का तैयार नहीं हैं और उनके क्रिमिनल्स की ओर से यूज हो रहे चैट एप्लीकेशंस का तोड़ निकाले जाने की बात कह रहे हैं। साइबर सेल के एक अधिकारी कहना है कि मानते हैं कि ये चीजें अलग हैं, लेकिन इनकी डिटेल हमें इनकी सर्विस प्रोवाइडिंग कम्पनियों से मिल जाती हैं। इसके लिए थोड़ी मेहनत जरूर करनी पड़ती है लेकिन अगर किसी क्रिमिनल का सेल नंबर सर्विलांस पर पडऩे के बाद भी पुलिस को कुछ खास हाथ नहीं लगता, तो पुलिस फिर चैट एप्लीकेशंस सर्विस प्रोवाइडिंग कम्पनी से सम्पर्क कर इसे यूज करने वाले क्रिमिनल की सारी डिटेल कलेक्ट करने की कोशिश करती है। हां, एक दिक्कत जरूर होती है कि हाई-फाई होने के बाद भी पुलिस को इन चैट एप्लीकेशंस कंपनियों के ऊपर डिपेंड रहना पड़ता है।

परेशानी तो है वाट्सएप

स्मार्ट फोन पर अपनों से कनेक्ट करने के लिए बना वाट्सएप पुलिस को इन दिनों बहुत ज्यादा परेशान किए हुए हैं। समय के साथ क्राइम के तरीकों में चेंज और हाई फाई वेपंस का यूज करने वाले क्रिमिनल्स ने अब पुलिस के सर्विलांस सेल को भी धोखा देने का बेस्ट तरीका ढूंढ निकाला है। वाट्सएप एक ऐसा एप्लीकेशन है जिसे पुलिस का सर्विलांस सेल चाहकर भी ट्रेस नहीं कर पाता है। इसलिए चाहे किसी से फिरौती मांगने का आदेश हो या फिर सुपारी किलर्स के तौर पर वर्क कर रहे क्रिमिनल्स को शिकार की फोटो पहुंचानी हो क्रिमिनल्स अपने गुर्गों को ये सारे मैटिरियल सेंड करने के लिए वाट्सएप का यूज तेजी से करने लगे हैं।

नहीं होता ट्रेस

वाट्सएप ही नहीं बल्कि पुलिस के लिए इन दिनों वो सारे एप्लीकेशंस सिरदर्द बने हुए हैं, जो मोबाइल पर इंटरनेट के जरिए चैट और वीडियों कॉल करने के लिए यूज किए जा रहे हैं। इनमे लाइन, वी चैट, वाट्सएप, चैट ऑन, निम्मबज समेत कई अन्य एप्लीकेशंस हैं। इन एप्लीकेशंस पर न सिर्फ मैसेजेस के जरिये, बल्कि नेट कॉलिंग और वीडियों कॉलिग के जरिए बात भी की जा सकती है। इन खतरनाक एप्लीकेशंस के बारे में साइबर सेल के अधिकारी का कहना है कि इन हाई फाई एप्लीकेशंस के आने से मुसीबत तो बढ़ ही गई हैं, क्योंकि पहले सिर्फ मोबाइल और उसमे सिम होता था। जिसे पुलिस का सर्विलांस सेल आसानी से ट्रेस कर लेता था, लेकिन जब से एन्ड्रॉयड फोन पर चैट के ये सारे एप्लीकेशंस आए हैं। तब से पुलिस क्रिमिनल्स के बीच हो रही बातचीत को ट्रेस नहीं कर पा रही है। खास तौर पर वाट्सएप, लाइन और स्काइप जैसे एप्लीकेशंस पर। क्योंकि ये सारे एप्लीकेशंस इंटरनेट से ऑपरेट होते हैं और इन पर न ही मोबाइल नंबर और न ही मोबाइल की आईएमईआई वर्क करती है। इसलिए क्रिमिनल्स धड़ल्ले से इन एप्लीकेशंस का यूज कर रहे हैं।

और भी है एप्लीकेशंस

 

सिर्फ वाट्सएप ही नहीं बल्कि और भी कई ऐसे एप्लीकेशंस हैं, जो मोबाइल पर चैट और इंटरनेट कॉलिंग के लिए तेजी से यूज हो रहे हैं और सर्विलांस सेल इनको भी ट्रेस नहीं कर पा रहा है…

॥ वी चैट ॥ लाइन ॥ स्काइप ॥ जी टॉक ॥ चैट ऑन ॥ निम्मबज ॥ फेसबुक मैसेंजर्स

 

हाईलाइट्स

॥ क्रिमिनल्स वाट्सएप और अन्य चैट एप्लीकेशंस का यूज अपने गैंग में कर रहे हैं।

॥ क्रिमिनल्स गैंग के आंका अपने गुर्गों को कोई भी आदेश देने के लिए फोन का नहीं बल्कि वाट्सएप का यूज कर रहे हैं।

॥ क्रिमिनल्स की नई खेप ज्यादा कर रही है इन एप्लीकेशंस का यूज

॥ कई जेलों में बंद बड़े क्रिमिनल्स जेल से भी ऑपरेट कर रहे हैं वाट्सएप

॥ जेल से यूज करने के बाद भी इनकी नहीं मिल रही कोई लोकेशन और हो रहे हैं क्रिमिनल्स के सारे काम

 

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Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

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