उदयपुर। महाराणा कुंभा संगीत परिषद द्वारा टॉउनहॉल में आयोजित तीन दिवसीय महाराणा कुंभा समारोह के प्रथम दिन डॉ. राजा व राधा रेड्डी व याामिनी रेड्डी तथा पदमविभूषण पं. शिवमुनि के सरोद वादन की प्रस्तुति ने रसिक श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। जहां डॉ. राजा, राधा व यामिनी रेड्डी की नृत्य की प्रस्तुति में नौ रसों की भाव व्यंजना ने दर्शकों को मत्रमुग्ध कर दिया, वहीं पं. शिवकुमार शर्मा के संतर वादन पर अलाप व ताल रूपक तथा तीन ताल में बंदिशों की प्रस्तुति देकर सभी को रोमांचित कर दिया।
डॉ. राजा व राधा रेड्डी ने कृष्ण के विभिन्न रूपों को रास रचयिता व गीता के उपदेशक अर्जुन सारथी के रूप को मंच पर प्रदर्शित किया। दोनों रूपों की विविधता व भावाभिनय देखते ही बने। कचिपुड़ी नृत्य की मुख्य विशेषता पात्र प्रवेश जिस के कारण यह नृत्य भारत नाट्यम से भिन्न होता है और इनके नृत्य में स्पष्ट हुआ और उसके भाव प्रदर्शन ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इनके नृत्य की अंतिम प्रस्तुति तरंगम् तश्तरी पर पद चालन थी, जिसमें राजा राधा रेड्डी के साथ उनकी पुत्री यामिनी रेड्डी ने भी साथ दिया। इनके साथ बांसुरी पर रोहित प्रसन्ना, वॉयलिन पर अन्नादुराई व गायन में कौशल्या रेड्डी व विजयश्री ने साथ देकर कार्यक्रम में चार चंाद लगा दिए। दूसरे सत्र में पं. शिवकुमार शर्मा का संतूर वादन हुआ। उन्होंने राग झ्ंिाझोटी में आलाप, ताल रूपक में त्रिताल में बंदिशों की प्रस्तुति दी। उन्होंने इस अवसर पर शहर में एक श्रेष्ठ ऑडिटोरियम की आवश्यकता जताई। इनके साथ तबले पर बनारस के रामकुमार शर्मा ने तथा जापान से आए। इनके शिष्य टाकाहीरो आराई ने तानपूरे पर संगत की। इनके वादन से रसिक श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। पं. शर्मा ने जहां उदयपुर के रसिक श्रोताओं की भूरी-भूरी पशंसा की, वहीं उन्हें संास्कृतिक संसाधनों की कमी का रंज होना भी प्रतीत हुआ।

Previous articleबाराती तोता !
Next articleबियर बार में आपा खो बैठी युवती, पुलिसवाले को ही जड़ दिया तमाचा

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here