उदयपुर, राजस्थान साहित्य अकादमी और सुखाडिया विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में दो दिवसीय राजस्थान लेखिका सम्मेलन का शनिवार को गुजरात की राज्यपाल डॉ. कमला ने शुभारंभ किया।

इस अवसर पर उद्बोधन में राज्यपाल ने कहा कि लेखनी और लेखक का संबंध जीव और आत्मा के समान है। साहित्य हमारे समूचे जीवन पर सदैव प्रभावी रहा है। हमारे विद्वान लेखकों व लेखिकाओं ने अपने महत्वपूर्ण साहित्यिक अवदान से हमारी सभ्यता और संस्कृति के गौरव को ब$ढाया है।

राजस्थान साहित्य अकादमी के अध्यक्ष वेद व्यास ने स्वागत उद्बोधन में कहा कि साहित्य में लेखक, लेखिका का कोई भेद नहीं होता। हम महिलाओं को समाज व राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा से जो$डना चाहते हैं। यह लेखिका सम्मेलन नई सोच, नया विचार तथा समाज को नयी दिशा देने वाला सार्थक सम्मेलन सिद्घ होगा ।

उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता करते हुए सुविवि के कुलपति प्रो. आई.वी. त्रिवेदी ने कहा कि महिलाएं स्वयं एक शक्ति है, ताकत है। यदि वे पूरी शक्ति के साथ जुट जाए तो हिंसा, युद्घ, बीमारी, राजनीतिक उठा-पटक आदि कई समस्यों को मिटा सकती है। स्त्री मातृ शक्ति है, वह संतान का पालन-पोषण करती है। दया, करुणा प्रेम का रूप है। उद्घाटन सत्र के कार्यक्रम का प्रभावी संचालन डॉ. सरवत खान ने किया।

पत्रवाचन: सम्मेलन के प्रथम सत्र में ’स्त्री लेखन में पितृसत्ता का सवाल‘’ विषय पर पत्रवाचन और चर्चा की गई। इस सत्र की अध्यक्षता करते हुए डॉ. जैनब बानू ने कहा कि हमारे समाज में महिलाओं का स्थान सदैव दोयम दर्जें का रहा है अत: उनको प्रथम दर्जें पर लाना होगा।

प्रो. मधु अग्रवाल ने विज्ञापन में नारी के देह सौन्दर्य को दिखाने के संबंध में आवाज उठाने की बात कही। सत्र का संचालन डॉ. प्रमिला सिंघवी द्वारा किया गया।

सम्मेलन के द्वितीय सत्र ‘स्त्री लेखन की बदलती सौन्दर्य दृष्टि‘ पर आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता जेबा रशीद, जोधपुर द्वारा की गई तथा बीज वक्तव्य डॉ. अपर्णा मनोज द्वारा प्रस्तुत किया गया।संचालन डॉ. मंजु त्रिपाठी द्वारा किया गया।

तृतीय सत्र ‘टकराती अस्मिताएं: स्त्री, जाति एवं धर्म‘ विषय पर आयोजित किया गया। इसकी अध्यक्षता डॉ. रमणिका गुप्ता द्वारा की गई तथा बीज- वक्तव्य सरूप ध्रुव, अहमदबाद द्वारा दिया ग। चर्चा में भागीदारी डॉ. क्षमा चतुर्वेदी, डॉ. सरवत खान, देवयानी भारद्वाज और डॉ. निर्मल गर्ग द्वारा की गई। इस लेखिका सम्मेलन में केवल राजस्थान बल्कि राजस्थान से बाहर की लेखिकाएं भागीदारी कर रही है। डॉ. प्रज्ञा जोशी द्वारा संचालन किया गया।

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