उदयपुर, फतहसागर की पाल पर एक ऐसा अद्भुद नजारा था कि हजारों लोग एकत्रित हुए किसी जुलूस या झलसे में शामिल होने के लिए नहीं वरन् देश की जातिय एंव अनेक प्रकार की उस व्यवस्था एंव स्थिति के सन्दर्भ में, जिसकों लेकर देश का प्रत्येक नागरिक त्रस्त ही नहीं वरन् उसके साथ जी भी रहा है लेकिन बोल कुछ नहीं पा रहा है। पायोनियर इन्स्टीट्यूट ऑफ मेनेजमेन्ट ने शहर के हजारों लोगों के लिए फतहसागर की पाल पर ऐसा मंच तैयार किया जंहा प्रत्येक व्यक्ति अपनी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के तहत देश की उस व्यवस्था एंव स्थिति को लेकर स्लोगन के जरिए अपनी भावनाएं एंव विचार व्यक्त कर सके।

शहर की करीब ५ हजार जनता ने ‘गरीबी जाति देखकर नहीं आती तो फिर आरक्षण जाति आधार पर क्यों,‘आरक्षण व भ्रष्टाचार दोनों ही देश के लिए खतरनाक है‘, ‘कसाब को मेहमान मत बनाओं‘, ‘हमारा भारत कुदरत ही तरह है जो सिर्फ खुशियाँ देता है तो फिर इंसान क्यों भेदभाव करता है‘, ‘विदेशों से काला धन वापस लाओं‘, ‘अपना सुधार ही संसार की सबसे बडी सेवा है‘, ‘यदि हम भारत माता को माता कहते है तो इस देश में कन्या भ्रूण हत्या क्यों‘, ‘जब तक इस देश में गरीबों को खाना नहीं मिलेगा तब तक सही मायनों में आजादी संभव नहीं‘ सहित विभिन्न प्रकार के स्लोगन के जरिए अपनी भावनाएं एंव आक्रोश प्रकट किया।

पायोनियर इन्स्टीट्यूट के प्रतीक गुप्ता ने बताया कि संस्थान के विद्यार्थियों ने शहर में इस तरह के पहली बार फतहसागर की पाल पर आयोजित किए गए इस कार्यक्रम के लिए पाल पर करीब ९० फीट लम्बा व ५ फीट चौडा बोर्ड बनाया गया जिस पर शहर की जनता और विशेषकर युवाओं ने अपनी भावनाएं व्यक्त की। इस अवसर पर राष्ट्रगान का आयोजन किया गया जिसमें करीब ३०० शहरवासी शामिल हुए। कार्यक्रम पश्चात इस बोर्ड को कॉलेज में डिस्प्ले किया गया। पाल पर जनता ने मोमबत्तियां जला कर देश की जनता को शांति का संदेश दिया। इस कार्यक्रम में महिला,बच्चों एंव युवाओं ने चेहरे पर तिरंगा बनाया। इस अवसर पर कोलाज,फेस पेन्टिग प्रतियोगिता के अलावा सास्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए।

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