aabid suratiउदयपुर. केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय से संबद्ध नेशनल बुक ट्रस्ट के राष्ट्रीय पुस्तक मेले में बुधवार को आए मशहूर कार्टूनिस्ट, पेंटर और लेखक आबिद सुरती कहा कि मोदी सरकार देश में सिविल वॉर करवाना चाहती है। इसके पीछे मानसिकता यह है कि लोगों की एकता टूटेगी तो सबसे ज्यादा फायदा सांप्रदायिक ताकतों को होगा। यह उनकी सोची समझी रणनीति का हिस्सा है। मोदी सरकार दिखावे के लिए विकास की बात करती है और उसने पीछे के रास्ते से अल्पसंख्यकों के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है।
नेशनल बुक ट्रस्ट के निमंत्रण पर आए सुरती ने कहा : दिल्ली में चर्च तोड़े गए। गोमांस की अफवाहें फैलाकर लोगों को मारा जा रहा है। आजाद विचारों और असहमति रखने वाले लोगों को निशाना बनाया जा रहा है। अल्पसंख्यकों पर जिस तरह से हमले हो रहे हैं, उन पर लोग कब तक चुप रहेंगेω एक दिन उनका संयम टूट जाएगा और आपस में लड़ बैठेंगे। देश में जो हो रहा है उसका कोई इलाज नहीं, क्योंकि लोगों ने ही ऐसी सरकार चुनी है और अब उन्हें भुगतना पड़ेगा।
विवेकानंद पर बात आज : गुरुवार को पुस्तक मेले में सुबह 11 बजे आबिद सुरती और देवेंद्र मेवाड़ी जुगलबंदी कार्यक्रम में बच्चों से बातचीत करेंगे। 2 बजे स्वामी विवेकानंद के जीवन पर आधारित कहानियों पर कार्यशाला, जिसमें शेखर सरकार द्विजेंद्र कुमार प्रतिभागी होंगे।
 नयनतारा सहगल और अशोक वाजपेयी के बाद अब आबिद सुरती ने साधा कट्टरता पर मोदी की चुप्पी पर निशाना
मुस्लिम कट्टरता पर भी चोट करते रहे हैं सुरती 
सुरती ने कहा कि मीडिया मौजूदा सरकार के खिलाफ असरदार भूमिका नहीं निभा सकता, क्योंकि सरकार ने इसे कई तरह से गिरफ्त में ले रखा है। सुरती मशहूर पत्रिका धर्मयुग में अपने कार्टून किरदार ढब्बूजी के लिए प्रसिद्ध हैं। यह सीरीज 30 साल तक लगातार छपती रही। इसके प्रशंसकों में अटल बिहारी वाजपेयी भी रहे हैं। सुरती मुस्लिम कट्टरता पर भी चोट करते रहे हैं। उनकी किताब ‘द ब्लैक बुक’ पर विवाद छिड़ने के बाद उन्हें भारत का सलमान रुश्दी कहा जाने लगा।
 पुरस्कार लौटाना मोदी सरकार पर तमाचा
कलबुर्गी की हत्या के विरोध में पुरस्कार लौटाने वाले लेखकों की लाइन लग गई है। नेहरू की भांजी नयन तारा सहगल के साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटाने के बाद बुधवार को एक अंग्रेजी अखबार ने अपने पहले पन्ने पर शीर्षक दिया है कि ‘सरकार के गाल पर एक और तमाचा’। गौरतलब है कि बुधवार को कलबुर्गी की हत्या और सांप्रदायिक घटनाओं में वृद्धि का हवाला देकर मशहूर लेखक अशोक वाजपेयी ने साहित्य अकादमी पुरस्कार लौटा दिया है। इससे पहले लेखक उदयप्रकाश भी पुरस्कार लौटा चुके हैं। बीते दिनों कन्नड़ साहित्य परिषद् को भी छह लेखकों ने अपने पुरस्कार लौटाये।
सुरती ने ‘धर्मयुग’ को मुसलमान बना दिया
पुस्तक मेले में ‘लेखक से मिलिए’ कार्यक्रम में सुरती ने एक दिलचस्प संस्मरण सुनाया। उन्होंने बताया कि धर्मयुग पत्रिका में ढब्बूजी कार्टून किरदार की लोकप्रियता इतनी थी कि लोगों ने मैगजीन को पीछे से पढ़ना शुरू कर दिया। सुरती बोले- एक बार संपादक धर्मवीर भारती पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से मेरा परिचय कराते हुए बोले कि सुरती ने धर्मयुग पत्रिका को मुसलमान बना दिया है, क्योंकि अब लोग इसे उल्टा पढ़ते हैं। आपको ध्यान होगा मुस्लिम ग्रंथ पीछे से आगे की ओर पढ़े जाते हैं। यह सुनते ही अटल बिहारी ठहाके लगाकर हंस पड़े।
सोर्स – दैनिक भास्कर
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