5825_71उदयपुर. नगर विकास प्रन्यास (यूआईटी) के सचिव की सरकारी कार व कुर्सी मंगलवार को कुर्क होने से बच गई। अदालत का वारंट लेकर सेल अमीन कुर्की करने यूआईटी पहुंचे तो सेक्रेट्री मीटिंग में भाग लेने कलेक्ट्रेट गए हुए थे। यूआईटी में उनकी कार भी नहीं थी। कुर्क करने की कार्यवाही 24 अप्रैल तक टाल दी गई।

सिविल न्यायाधीश कनिष्ठ खंड शहर उत्तर ने 15 अप्रैल को नगर विकास प्रन्यास के सचिव की सरकारी गाड़ी व कुर्सी कुर्क करने के आदेश दिए थे। अदालत ने उसी दिन कुर्की वारंट बना कर सेल अमीन को तामील करा दिया था।17 अप्रैल को मतदान तथा उसके बाद तीन दिन छुट्टियां हो जाने से मंगलवार को कार्यवाही करना तय किया गया था। सेल अमीन के.एस.झाला वादी पक्ष के वकील कैलाश नागदा को साथ लेकर सुबह 11.30 बजे यूआईटी पहुंचे। सचिव रामनिवास मेहता अपने कक्ष में मौजूद नहीं थे। उन्होंने निजी सहायक से संपर्क किया तो पता चला कि वे मीटिंग में गए हैं।

कार्यालय के पोर्च में उनकी गाड़ी भी नहीं थी। यूआईटी की उप विधि परामर्शी (डीएलआर) अजब बानो ने सेल अमीन को बताया कि जिस व्यक्ति के संदर्भ में कुर्की आदेश जारी हुए हैं, उसकी प्रक्रिया शुरू हो गई है। डीएलआर ने 24 अप्रैल तक कुर्की स्थगित करने का अनुरोध किया। डिक्री धारी के वकील भी दो दिन मोहलत देने पर रजामंद हो गए।

इस मामले में हुए कुर्की आदेश
शहर के दक्षिणी सुंदरवास निवासी हरिसिंह रांका ने 1989 में रुक्मणी देवी चौबीसा की मनवाखेड़ा स्थित खातेदारी जमीन में भूखंड खरीदा था। जमीन का कब्जा हरिसिंह को मिल गया था। भूमि रुपांतरण शुल्क 51 हजार रुपए यूआईटी ने जमा कर लिए थे मगर 90-बी कर पट्टा जारी नहीं किया था। कुर्की आदेश जारी करने वाली अदालत ने 18 मार्च 2011 को परिवादी हरिसिंह को पट्टा देने के आदेश दिए थे। दो माह में कार्यवाही करने के अदालत के आदेश की पालना 3 वर्ष तक नहीं की गई। परिवादी ने अदालत की अवमानना का वाद पेश किया था। पीठासीन अधिकारी नीलम शर्मा ने यूआईटी सेक्रेटरी की सरकारी गाड़ी व कुर्सी कुर्क करने के आदेश दिए।

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