उदयपुर, । पश्चिम क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र की ओर से आयोजित दस दिवसीय शिल्पग्राम उत्सव के तीसरे दिन रविवार को ‘‘धरोहर’’ में लोगों को पूरब और पश्चिम की लोक कला व संस्कृति के रंग एक मंच पर देखने को मिले। मुख्य रंगमंच ‘‘कलांगन’’ पर प्रस्तुत त्रिपुरा का होजागिरी तथा राजस्थान का चरी नृत्य दर्शकों को खूब रास आया इन नृत्यों ने अपने अंचल की लोक रंगत उत्सव में बिखेरी।

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रंगमंच पर रविावर को कार्यक्रम की शुरूआत कथकली से हुई इसके बाद नेक मोहम्मद लंगा ने अपने चिर परिचित अंदाज में लोक गीत सुना कर दाद बटोरी। कार्यक्रम त्रिपुरा का होजागिरी नृत्य दर्शकों के लिये सुरम्य प्रस्तुति बन की। इसमें नृत्यांगनाओं ने सिर पर बोतल संतुलित करते हुए अपनी मंथर दैहिक थिरकन से समां बांध दिया। नृत्य के दौरान त्रिपुरा की बालाओं ने विभिन्न प्रकार की संरचनाएँ भी बनाई। मंच पर ही राजस्थान के किशनगढ़ का चरी नृत्य मनमोहनी पेशकश रही। बांकिये के स्वर और ढोल की थाप पर नृत्य के दौरान नर्तकियों ने अपने सिर पर चरी रख कर उसमें अग्नि प्रवाहित कर आकर्षक नृत्य प्रस्तूुत किया।

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कार्यक्रम में गोवा का वीरभद्र जहाँ शौर्यपूर्ण व ओजपूर्ण प्रस्तुति थी वहीं मध्यप्रदेश के ढिंढोर जिले के आदिवासियों का गुदुमबाजा ने अपना धूम धड़ाका जोशीले अंदाज में किया। इस दल द्वारा बनाई संरचनाओं व पिरामिड पर दर्शकों ने करतल ध्वनि से अभिवादन किया। उत्तराखण्ड का चापेली नृत्य कार्यक्रम की लुभावनी प्रस्तुति रही वहीं गुजरात के मेवासी कलाकारों ने अपनी तीव्र नृत्य रचनाओं से दर्शकों को रोमांचित कर दिया। धरोहर में इसके अलावा पंजाब का जिन्द, महाराष्ट्र का लावणी भी दर्शकों ने सराहा। उत्सव के चौथे दिन सोमवार को ‘‘लोक परंपरा’’ के अंतर्गत सांस्कृति सांझ का आयोजन होगा।

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