IMG_5707-243x300उदयपुर। यहां मोहनलाल सुखाडिय़ा विश्वविद्यालय में पोस्ट डॉक्टरेल शोधकर्ता डॉ सूरजमल राव को राजस्थान के भाषा वैज्ञानिक सर्वेक्षण में उल्लेखनीय योगदान पर नई दिल्ली में केंद्रीय साहित्य अकादमी के अध्यक्ष डॉ$ विश्वनाथ प्रसाद तिवारी के हाथों सम्मानित किया गया। बड़ौदा स्थित भाषा अनुसंधान केंद्र द्वारा अखिल भारतीय बोलियों के सर्वेक्षण करवाया गया। जॉर्ज अब्राहिम ग्रियर्सन के 1913 में किए गए सर्वेक्षण के बाद भारत में यह पहला नई सदी का जन भाषा सर्वेक्षण था। इसमें संपूर्ण भारत की लगभग आठ सौ बोलियों का सर्वेक्षण और अध्ययन किया गया। इसके लिए सारे देश में तीन हजार लोगों ने सहयोग किया। लगभग पचास खंडों में यह सर्वेक्षण हिंदी और अंग्रेजी अनुवाद के रूप में प्रकाशित होता जा रहा है। इस सर्वेक्षण की प्रथम प्रकाशित पुस्तक राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को भेंट की गई और शेष खंड़ों को महात्मा गांधी स्मृति स्थल या (बिडला भवन) में केंद्रीय कला संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच के सान्निध्य में देश हित में सौंपा गया। इनमें से राजस्थानी बोलियों पर आधारित खंड डॉ$ सूरजमल राव ने सौंपा है। इसमें राजस्थान की लगभग 36 उन बोलियों का वर्णन हैं, जिनका अस्तित्व खतरे के कगार पर है। पहली बार इस खंड में उदयपुर की ‘धावड़ी बोलीÓ को भी शामिल किया गया है। यह बोली सलंूबर क्षेत्र में बोली जाती है और प्रमुख जनजातीय बोली है और मीणा, रावत आदि समुदायों ने इसको आधुनिक प्रभाव से अलग सुरक्षित रखा है। इसका सर्वेक्षण डॉ श्रीकृष्ण ‘जुगनूञ्ज ने किया है। इसके साथ ही वागड़ से बागड़ प्रदेश तक, पाकिस्तानी सीमांत प्रदेश से अरावली की घाटियों में आबादी भील, गरासियों की बोली को भी इस सर्वेक्षण, अध्ययन में सोदाहरण शामिल किया गया है। सर्वेक्षण का निर्देशन हारवर्ड विश्व विद्यालय के पूर्व प्रोफेसर श्रीगणेश दैवीय ने किया है। नई दिल्ली की साहित्य अकादमी सभागार में इस उपलक्ष्य में हाल ही आयोजित एक समारोह मे अध्यक्ष डॉ तिवारी ने डॉ सूरजमल राव को प्रतीक चिह्न, प्रशंसा पत्र प्रदान कर सम्मानित किया।

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