रिपोर्ट विनोद मोलपरिया

उदयपुर। महाराणा प्रताप खेल गांव के पास अवैध रूप से अरावली की पहाडिय़ां काटी जा रही है। यहां पर प्राइवेट कॉलोनाइजर्स ने पहाडिय़ां काट कर सड़कें बना दी, प्लाट काट दिए और बिजली के खंभे भी रोप दिए हैं, जबकि इसके लिए कोई प्रशासनिक स्वीकृति भी जारी नहीं की गई है। फिर भी लगातार इस क्षेत्र में पहाडिय़ों को काटकर कॉलोनियां बसाई जा रही है।

 

हाथों हाथ बिक रहे हैं प्लाट

चित्रकूट नगर क्षेत्र में जमीनों की अच्छी कीमतों एवं खेलगांव पास होने के कारण भूखण्डों की मांग बढ़ रही हैं। यहां पर मुंह मांगे दामों पर हाथों-हाथ प्लाट बिक रहे हैं। चित्रकूट नगर में सरकारी जमीनों की डीएलसी दर भी कम से कम पंद्रह सौ रूपये प्रति स्कवायर फीट हैं। प्रतापनगर तक फोरलेन हाइवे को भी स्वीकृति मिल चुकी है। इससे हर कोई वहां पर प्लाट खरीदना चाहता है।

 

जल प्रवाह मार्ग को खतरा : शर्मा

सहायक वन संरक्षक डा. सतीश शर्मा का कहना है कि अगर पहाडिय़ों को काटा गया, तो जल प्रवाह मार्ग को खतरा हो जाएगा। इससे इस अंचल से गुजरने वाली आयड़, माही, बनास समाप्त हो जाएगी। पहाडिय़ों पर उगने वाली वनस्पति समाप्त हो जाएगी, जो पर्यावरणीय तंत्र को प्रभावित करेगी।

 

कोई सुनने को तैयार नहीं है

झील संरक्षण समिति के सह सचिव अनिल मेहता ने बताया कि उदयपुर में अरावली पर्वतमाला की चोटियां ही क्षेत्र के बेसिन के लिए वाटरशेड का निर्माण करती हैं। इससे शहर की झीलें भरी रहती हैं और भूजल का स्तर भी अच्छा बना रहता हैं। पिछले दिनों यूआईटी अधिकारियों के साथ हुई मीटिंग में उन्हें बताया गया था कि पहाडिय़ों का कटाव किस तरह से खतरनाक साबित हो सकता है। पहाडियों की लगातार कटिंग से पर्र्यावरणीय और जलविज्ञानी प्रभाव पड़ेगा जिससे उदयपुर का मूल स्वरूप ही समाप्त हो जाएगा।

 

गैरकानूनी हैं पहाडिय़ों को काटना

रिटायर्ड एसटीपी बीएस कानावत का कहना है कि यदि रघुनाथपुरा गांव की पहाडिय़ां काटी गई हैं और मकान बनाएं जा रहे हैं, तो ये गैरकानूनी हैं। पहाडिय़ों के कट जाने से उदयपुर की सुंदरता पर असर पड़ेगा। अगर यूआईटी ने यहां पर मकान बनाने की स्वीकृति दी है, तो गलत हैं। यूआईटी पहाडिय़ों पर रिसोर्ट के लिए स्वीकृति दे सकती हैं लेकिन वो भी इस शर्त पर कि उनको ८० प्रतिशत क्षेत्र में हरियाली विकसित करनी होगी और २० प्रतिशत क्षेत्र पर ही निर्माण कार्य किया जा सकेगा।

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि एवं अधिकारी

यूआईटी अध्यक्ष रुपकुमार खुराना ने बताया कि यदि रघुनाथपुरा गांव में पहाडिय़ां काटी गई है तो ये गलत है। मेरी जानकारी में नहीं है, आपने बताया है तो मैं आज ही मौके पर अधिकारियों को भेजता हुं।

यूआईटी के भू-अवाप्ति अधिकारी जगमोहन ने इस मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि लेंड कनवर्जन का काम यूआईटी सैकेट्री आरपी शर्मा एवं ओएसडी प्रदीप सांगावत करते हैं। मेरा काम लेंड एक्वीजिशन का है। रघुनाथपुरा गांव के मसले में मुझे जानकारी नहीं है।

यूआईटी ओएसडी प्रदीप सांगावत से पूछा गया तो उन्होनें बताया कि संभवतया ये खातेदारी की जमीन होगी, आप मुझे खसरा नम्बर बताएं तो पटवारी को बुलवाकर जांच करवा लेते हैं। इस पूरे मामले में ऐसा लगा मानो यूआईटी के अधिकारी आंखे मूंद कर सोए हुए हैं। शहर में पहाडिय़ां काट दी जाती है और उन्हें इसकी जानकारी भी नहीं होती या वो इस बारे में जानना ही नहीं चाहते हैं।

सो . मददगार

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Contributer & Co-Editor at UdaipurPost.com

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