उदयपुर। शहर के बीचोबीच सरेआम दबंग अपनी गुंडई दिखाते हुए जीप चालकों से हफ्ता वसूल रहे है। मजबूर जीप चालक रूट पर जीप चलाने के लिए हफ्ता देने पर मजबूर है। जिम्मेदारों को पता होने के बावजूद यहाँ खुली लूट जारी है। जीपचालक इस अन्याय के खिलाफ दबी जुबान में बोलते तो है लेकिन कोई सामने आने को तय्यार नहीं क्यूँ कि उन्हें डर है कि दबंग लोग अपने रसुखों के चलते बच जायेगें और उन्हें उस रूट से हटना पड़ेगा जिससे उनके दो वक़्त की रोटी कमाना भी मुश्किल हो जाएगा ।
अवैध वसूली का यह खुला खेल शहर के बिच चेतक पहाड़ी बस स्टेंड पिछले कई सालों से चल रहा है। यहाँ पर उदयपुर से नाथद्वारा रूट पर चलने वाली जीपों से कुछ दबंग गुंडे  रोज़ हर ट्रिप का हफ्ता वसूल रहे है। इन लोगों ने सरकारी बस स्टेंड को खुद की बपोती का अड्डा बना रखा है और यहाँ से सवारियों को भरने की और रूट पर जीप चलाने की कीमत जीप चालकों को चुकानी पड़ती है।एक तरह से माना जाए तो  नाथद्वारा रूट पर जीपों के चलाने का अवैधानिक अवैध ठेका स्वघोषित इन्ही दबंगों ने ले रखा है। एक जीप चालक नाम नहीं लिखने की शर्त पर बताता है कि नाथद्वारा का टिकिट ५० रूपये होता है और एक ट्रिप में हम १० या १२ सवारियों को बैठा सकते है . हमको हर ट्रिप पर इन लोगों को ५० से १०० रूपये तक देना पड़ता है। सवारियां अगर १० या इससे अधिक हुई तो १०० रूपये और अगर १० से कम है तो काफी मिन्नतें करने के बाद ५० या ७५ रूपये देने पड़ते है।
कहा जाता है पहाड़ी बस स्टेंड पर एक राजनातिक पार्टी से ताल्लुक रखने वाले इन दबंगों और इनके गुर्गों से कोई उलझता भी नहीं क्यूँ कि विरोध करने पर ये लोग मारपीट पर उतारू हो जाते है और रूट पर  गाडी नहीं लगने देते, ना ही बस स्टेंड पर गाडी खड़ी करने देते है। बस स्टेंड के बाहर अगर  गाडी खड़ी रखते है तो कभी पुलिस वाले तो कभी आरटीओ वाले चालान बना देते है।
जानकारी के अनुसार नाथद्वारा जाने वाली सवारियां भी अवैध वसूली करने वालों के गुर्गे ही जीपों में गिन कर बैठाते है। ड्राइवरों की मजबूरी है कि चाहे आरटीओ का टेक्स जमा कराएं ना कराएं इन अघोषित अवैध थानेदारी दिखाने वाले गुंडों को रोज़ का पैसा देना पड़ता है। कुछ जीप मालिक का कहना है कि अगर कोई नयी जीप इस रूट पर चलाना चाहता है तो जितना टेक्स सरकारी दफ्तर आरटीओ में जमा  नहीं कराते है उससे दुगुना तो इन दबंगों को देना पड़ता है।
ताज्जुब की बात है कि जिला कलेक्ट्री से महज आधा किलोमीटर और हाथीपोल थाने से कुछ सो कदम की दूरी पर यह अवैध वसूली का काम बरसो से हो रहा है। जीप चालाक और जीप मालिकों का कहना है कि अगर इनका विरोध करें तो घर में दो वक़्त की रोटी के लाले पड़ सकते है क्यूँ कि ये लोग रूट पर वाहन चलने नहीं देंगे और ना ही पहाड़ी बस स्टेंड से किसी सवारी को लेने देंगे। ऐसे में जीप मालिकों द्वारा इनको ना चाहते हुए भी दिन का यह अवैध शुल्क देना पड़ता है एक जीप दिन में दो चक्कर तक करती है और उससे यह २०० रूपये तक की वसूली कर लेते है। हफ्ता वसूली करने वालों की दहशत इतनी है कि कोई भी वाहन चालक इन लोगों का नाम लेना नहीं चाहता। कहते है यह तो अब रिवाज बन गया है और यहाँ खड़े रह कर सवारियां भरनी है तो इन्हें रुपया देना ही पड़ता है।

विडियो में देखिये हफ्तावसूली का खेल

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