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उदयपुर । कोटा के एक घर के इकलौते चिराग “रुद्राक्ष”, माँ, बाप के दिल का टुकड़ा एक मासूम का कुछ नामर्दों ने अपहरण कर लिया माँ बाप और दादा के हाल बेहाल होगये पुलिस के पास पहुंचे उन नामर्दों अपहरणकर्ताओं ने धमकी दी थी २ करोड़ दो वरना बच्चे की जान से हाथ धो बैठेगो ।
और हमारी पुलिस और हमारी मीडिया के महान कलाकारों ने आखिर उस बच्चे की जान लेने में भागीदारी बखूबी निभाई । पुलिस ने मीडिया को एक एक जानकारी दी जो उस वक़्त नहीं देनी चाहिए थी और मीडिया अपने अखबार को न. वन बताने के लिए इस खबर के एक एक पहलु को अपने अखबार और टीवी चैनल में बता कर उन नामर्दों की सहायता की नतीजा उस मासूम की मौत के रूप में सामने आया ।
“खबर हर कीमत पर ” और आखिर आज उस मासूम के अपहरण की खबर के हर पहलू बड़ी तफ्सील और किसी गुप्तचर विभाग के काबिल जासूस की भांति छापने की बदौलत एक मासूम को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा । क्या पत्रकारिता हे और क्या पुलिस छानबीन वाह मानना पडेगा इन काबिल रिपोर्टरों को और काबिल पुलिस के अधिकारीयों को ।
हमारे अखबार, टीवी चैनल, रिपोर्टर और संपादक अपने काम के प्रति इतने समर्पित है की चाहे किसी मासूम की जान जाती हे तो जाए, चाहे किसी के घर का चिराग बुझता है तो बुझे, हमे तो सिर्फ खबर छापनी है । यही हमारी पहली जिम्मेदारी है । और इस जिम्मेदारी को हमने बखूबी निभाया है । आज के कोटा के भास्कर और पत्रिका के एडिशन देख के तो यही लगता है ।
इन बड़े अखबार वालो ने उन नामर्द अपहरण करने वालों का पूरा साथ निभाया है । कुछ ही घंटों में इन अखबारों के पत्रकारों की टीम ने हर एक पहलु की छान बिन कर डाली एक एक पहलु अखबार में छाप दिया यहाँ तक की सीसी टीवी कैमरे के फुटेज में आई उस कार का फोटो , पुलिस की हर एक हरकत का फोटो सहित विवरण छाप दिया और तो और जिस पार्क से बच्चा अगवा हुआ उस पार्क में खेलने वाले एक एक बच्चे का इंटरव्यू । अपहरण कर्ताओं से उस मासूम के पिता से हुई बातचीत का पूरा ब्योरा अपने अखबार में छाप दिया और उस पर अपनी छाप भी छोड़ी ” भास्कर तत्काल ” “पत्रिका सबसे पहले ” नतीजा क्या हुआ इन जिम्मेदार बनने वाले मीडया के इस कारनामे से उन नामर्दों ने मासूम को मार डाला ।
अरे अक्ल का बाजार लगाने वालों क्या शर्म और अक्ल किसी चकले पर बेच कर आ गये जो इतनी भी समझ नहीं आई के इतना कुछ छाप कर अपनी पीठ थपथपाओगे तो अंजाम क्या होगा अपने आपको बुद्धिजीवी कहने वालों की बुद्धि इतनी ही रह गयी । एक बार भी उस मासूम की जगह या उस पिता या माता की जगह खुद को रख कर नहीं सोचा ।
और ये पुलिस के बड़े बड़े अधिकारी क्या सब के सब फर्जी डिग्री लेकर इतने बड़े अधिकारी बने है या हराम की कमाई खा खा कर इंटेलिजेंसी किसी आका के वहां गिरवी रख कर आये है । शर्म आनी चाहिए, एक मासूम के अपहरण की इन्वेस्टिगेशन इस तरह होती है। सारी मिडिया को जमा कर के काम होता है क्या ? जब रिश्वत के लाखों रूपये लेते हो तब भी मिडिया को बुलाया करो. जब सारे अवांछनीय काम टेबल के निचे और परदे के पीछे करते हो तब भी तो मिडिया को बुलाया करो तब भी पूरी की पूरी जानकारी दिया करो । ईमान तो जैसे मर गया है, और दिमाग किसी धन्ना सेठ या नेता के यहाँ गिरवी पड़ा है ।
एक मासूम का अपहरण हुआ उसकी पूरी की पूरी जानकारी अपनी कार्रवाई सहित पुलिस ने मिडिया के सामने खोल कर रख दी और मीडिया के बड़े बड़े ठेकेदार बने अखबार और टीवी चैनलों ने सनसनी खेज खबर बना कर दो दो पेज में छाप दी । हत्यारे सिर्फ वो नामर्द अपहरणकर्ता ही नहीं उनका पूरा साथ देने वाले ये पुलिस के अधिकारी और पूरी की पूरी मिडिया जिम्मेदार है । लेकिन शर्म अब भी नहीं आएगी इन्हे अब भी इसको सनसनी बना कर आठ दिन तक छापेंगे । अपहरणकर्ताओं को आगाह करने का काम इनका बदस्तूर जारी रहेगा ।

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