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सरकारी स्कूलों में नामांकन बढ़ाने के लिए जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी तय, ज्यादा से ज्यादा बच्चों को सरकारी स्कूलों में भर्ती कराने का सरकार ने दिया लक्ष्य
उदयपुर। उदयपुर जिले में 1200 से अधिक निजी स्कूल है और इतने ही सरकारी स्कूल भी है। सरकारी स्कूलों की बजाय अभिभावक अपने बच्चों निजी स्कूलों में दाखिला दिलवाने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। यह स्थिति शहर की ही नहीं, बल्कि गांवों की भी है। ऐसे में सरकारी स्कूल में नामांकन बढ़ाने के लिए अब सरकार ने जनप्रतिनिधियों की जिम्मेदारी तय कर दी है। प्रत्येक जनप्रतिनिधि की यह जिम्मेदारी रहेगी कि वो अपने अधीन आने वाले क्षेत्र या गांव के अधिक से अधिक बच्चों का प्रवेश सरकारी स्कूल में कराए।
बच्चों और अभिभावकों को सरकारी स्कूल के प्रति आकर्षित करने के लिए संस्था प्रधान, सरपंच और वार्ड पंचों की स्कूल स्तर पर बैठक होगी, जिसमें ज्यादा से ज्यादा बच्चों को सरकारी स्कूलों में भर्ती कराने के लिए एजेंडा तय किया जाएगा।
इस वर्ष शिक्षा विभाग ने अपनी गाइडलाइन के मुताबिक कम से कम 20 प्रतिशत नामांकन बढ़ाना है। प्रति शिक्षक को 5-5 बच्चों की संख्या बढ़ाने की जिम्मेदारी सरकार और शिक्षा विभाग ने पहले से ही दे दी है। इसको लेकर भी शिक्षक अपने स्तर पर प्रयासरत है। दरअसल 2010 में सर्व शिक्षा अभियान की ओर से ट्रेकिंग सर्वे कराया गया था। जिसमें 45 हजार से ज्यादा बच्चे ऐसे मिले थे, जो स्कूलों की दहलीज से दूर है। उन बच्चों को जोड़ते हुए यह कदम उठाने है। दरअसल शिक्षा विभाग ने पिछले कुछ वर्षों से लगातार निजी शिक्षण संस्थानों को ज्यादा तवज्जो दिया है। इसके चलते नई पीढ़ी की सोच भी बदली और अभिभावक यहीं चाहते हैं कि निकट स्थान पर जो भी निजी स्कूल हो, वही बच्चे का एडमिशन कराया जाए। इसी सोच के चलते सरकारी स्कूलों में नामांकन कम हुआ है। उदयपुर जिले में ही वर्तमान में करीब 1200 से अधिक निजी स्कूलें संचालित की जा रही है। हालांकि बोर्ड परिणाम सरकारी स्कूल की तुलना में निजी स्कूलों में बेहतर रहता है। यह भी आकर्षण का कारण है।

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