pichola3-300x193उदयपुर, शहर की झीलों में अपना सीवरेज डालकर उन्हें प्रदूषित करने वाले होटलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई किए जाने पर पुनर्विचार किया जा रहा है। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने गत सात जून, २४ जून और २८ जून को नोटिस भेजकर करीब ८०० ऐसी इकाइयों को चेतावनी दी थी, जो अपना सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) नहीं लगाकर सारी गदंगी झीलों और आयड़ नदी में डाल रही है। इनमें सर्किट हाउस, टूरिस्ट बेंग्लो, धर्मशालाएं, होटलों, माइंस, मार्बल प्रोसेसर, सोप स्टोन इकाइयां आदि शामिल है। प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने अपने नोटिस में हाईकोर्ट के २७ सितंबर, २०१२ के फैसले का हवाला दिया है, जिसमें व्यक्तिश: एसटीपी लगाने के आदेश पारित किए गए हैं। नोटिस में इन्वायरनमेंट प्रोटेक्शन एक्ट १९८६ के तहत कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई है, जिसमें इस प्रकार का प्रदूषण फैलाने पर पांच साल की कैद अथवा एक लाख रूपए का जुर्माना अथवा दोनों सजाएं एक साथ देने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा १० हजार रूपए की बैंक गारंटी जब्त करने और लाइसेंस निलंबित करने की धमकी भी दी गई है।
प्रदूषण नियंत्रण मंडल के नोटिस की पालना के लिए सप्ताहभर की अवधि बीत जाने के बाद कार्रवाई की आशंका से ग्रस्त उद्यमियों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन देकर सेंट्रल सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए जाने तक राहत देने की मांग की है। ज्ञापन में बताया गया है कि राजस्थान सरकार प्रदूषण नियंत्रण मंडल और हिंदुस्तान जिंक के बीच त्रिपक्षीय करार के तहत कार्य प्रारंभ हो चुका है। इसकी बैंक गारंटी ढाई करोड़ रूपए भी जमा करा दी गई। ऐसे में व्यक्तिश: एसटीपी लगाने के लिए पाबंद करना चिंता का विषय है। होटल एसोसिएशन के बैनर तले दिए गए इस ज्ञापन में यह तर्क भी दिया गया है कि अभी अपचारित जल की निकासी की व्यवस्था भी नहीं है।
पता चला है कि होटल एसोसिएशन के प्रतिनिधि मंडल को जिला कलेक्टर ने उनकी मांगों पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने का आश्वासन दिया है। प्रतिनिधि मंडली का नेतृत्व एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष गलूण्डिया कर रहे थे। बताया गया है कि मनवाखेड़ा में केंद्रीय सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट २-३ साल में बनकर तैयार होगा। तब तक होटलों का सीवरेज झीलों में डालते रहने देने की छूट देने पर विचार चल रहा है।
:सभी होटल प्रबंधकों को नोटिस दे रखे है। बिना एसटीपी के कोई भी होटल या इंटस्ट्री नहीं चल सकती है। अगर प्लांट नहीं बनाया तो कार्रवाई की जाएगी।
-एच.आर. कसाना, क्षेत्रीय अधिकारी, राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मण्डल

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