उदयपुर। क्या हो गया है शहर की पुलिस को, शहर के आला पुलिस के अधिकारी की पकड़ शहर पर काम होती जा रही है। एक चोरी की एफआईआर दर्ज करवाने के लिए लोगों को थाने के कई चक्कर लगाने पड़ते है। यही नहीं कई बार तो आइओ को कार्रवाई करने के लिए जेब भी गरम करनी पड़ती है। मोटरसाइकिल चोरी हुई पुलिस ने चार दिन तक रिपोर्ट दर्ज नहीं कि, जब परिवादी खुद मोटरसाइकिल चोर को पकड़ के लाया और थाने में सूचना दी तो उसको ही अपहरण के केस में जेल में दाल दिया।
खुद काम करेगें नहीं और अगर कोई खुद काम करेगा तो उसको भी नहीं मानेगें और उसको ही सजा देने बैठ जायेगें। आखिर पुलिस चाहती क्या है।
पिछले दिनों भी पुष्प वाटिका में शादी समारोह के दौरान पांच लाख के आभूषण चोरी हो गए। तुरंत अम्बामाता थाने में सूचना दी तो ड्यूटी पर तैनात पुलिस karmiyon ने ना to एफआईआर लिखी ना ही तुरंत मोके पर आकर जांच की। यही नहीं अगले दिन आइओ ने पीड़ित पक्ष को बुला कर खर्चे पानी की मांग और कर ली। uस चोरी की रिपोर्ट तीन दिन बाद दर्ज की गयी जिसकी कारवाई पूछताछ के अलावा कुछ नहीं हुई।
और अब एक ये मामला जिसमे एक युवक की गोवर्धनविलास थाने में बाइक चोरी की रिपोर्ट कराने वाले बाइक मालिक के दोस्तों ने जिस चोरी के आरोपी को दबोचा, उस आरोपी के दोस्तों की अपहरण की अन्य रिपोर्ट पर अंबामाता थाना पुलिस ने बाइक मालिक सहित पांच दोस्तों को गिरफ्तार कर जेल भिजवा दिया। लेकिन बाइक चोरी का आरोपी एक माह तक आजाद घूमता रहा। बाद में जब जेल से छूटकर आए युवकों ने कोर्ट में इस्तगासा पेश कर रिपोर्ट दर्ज कराई तो उसके भी एक महीने बाद बाइक चोरी के असली आरोपियों को पुलिस ने गिरफ्तार किया।
यह मामला उपरोक्त दोनों थानों के बीच में हुआ है, जिसमें बाइक मालिक सहित उसके दोस्तों को जेल में 10 दिन बिताने पड़े।

मामला यह है कि 22 सितम्बर को बाइक मालिक आवेश पुत्र अली मोहम्मद, इसके दोस्त मुस्तफा पुत्र खुर्शीद अहमद, इमरान हुसैन पुत्र अनवर हुसैन और गुलाम मोइनुद्दीन पुत्र हकीम मोहम्मद सहित अन्य युवक अहमदाबाद हाइवे स्थित काठियावाड़ी होटल गए। वहां उनकी बाइक चोरी हो गई। उस रात आवेश अपने दोस्तों के संग गोवर्धन विलास थाने आया और बाइक चोरी की सूचना दी। पुलिस ने उस समय बाइक चोरी की सूचना वायरलेस पर प्रसारित करवा दी। लेकिन रिपोर्ट दर्ज नहीं की। इसके बाद 23 सितम्बर को आवेश फिर थाने गया लेकिन रिपोर्ट नहीं लिखी गई। 24 सितम्बर को पुलिस ने रोजनामचा दर्ज किया पर रिपोर्ट तब भी नहीं लिखी। युवकों ने सीसी टीवी फुटेज निकाले, जिसमें चोरी के आरोपी युवकों की पहचान हुई। इसके बाद 26 सितम्बर को सीसी टीवी फुटेज के आधार पर आरआर डेंटल कॉलेज में पढ़ने वाले कृष्णा नामक युवक को शास्त्री सर्कल पर बाइक मालिक ने ही पकड़ लिया। उससे बाइक के बारे में पूछा तो उसने मल्लातलाई चलने के लिए कहा। मल्लातलाई पहुंचे तो वहां चोरी के अन्य आरोपी रणधीर और सुमित भी गए। फिर वे सभी चकमा देकर भाग गए। इसकी सूचना बाइक मालिक और उसके दोस्तों ने गोवर्धनविलास थाना पुलिस को दी। तब भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की।
कमाल की बात यह है कि इस मामले में पुलिस इन्वेस्टिगेशन कही भी नहीं दिख रहा। अगर पुलिस तत्परता दिखाती तो शायद मामला जिस दिन बाइक चोरी गयी उसी दिन सारा मामला निपट जाता और बाइक चोरी का आरोपी पकड़ में होता लेकिन यहाँ तो खुद पुलिस ने परिवादी को ही अपहरण के केस में जेल में डाल दिया।

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