उदयपुर। जैन अब हिंदु समुदाय का अंग नहीं रह गए हैं। लोकसभा चुनाव-२०१४ के मद्देनजर कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सिफारिश करके केंद्रीय केबिनेट से जैन धर्मावलंबियों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिला दिया। इससे इन्हें अल्पसंख्यक कल्याण कार्यक्रमों के बजट तथा आरक्षण का लाभ मिलेगा। बताया गया है कि राहुल गांधी को यह समझाया गया था कि जैनियों को अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने से इस धर्म के तीन फीसदी वोट कांग्रेस को मिल जाएंगे। हालांकि यह फिजूल बात है, क्योंकि देशभर में ज्यादातर जैन धर्मानुयायी भारतीय जनता पार्टी के साथ है। वैसे आमतौर पर अब तक जैन धार्मिकों को हिंदू समुदाय का ही अंग माना जाता रहा और यह इतिहास भुला दिया गया कि हिंदुओं का मूल सनातन धर्मियों में है तथा नास्तिक जैन और बौद्ध धर्म के साथ इनका लंबा संघर्ष रहा है। इसी संघर्ष के चलते बौद्ध धर्म को तो भारत ही छोडऩा पड़ गया। सरकार के इस नये फैसले से मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध और पारसियों को दिए जाने वाले लाभ में जैनियों को भी हिस्सेदारी मिलेगी। साथ ही ब्राह्मण, राजपूत और कुछ अन्य जातियों का इनसे संघर्ष बढ़ जाएगा। यही नहीं राम जन्म भूमि आंदोलन से जुडे अधिकतर जैनियों को इससे दूर करने का विवाद भी खड़ा हो जाएगा।

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