katariyaउदयपुर। जनसहभागिता के बिना कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती। जनता की योजना निर्माण के बाद सुझावों के लिए नहीं वरन योजना निर्माण में भागीदार होनी चाहिए। यूआईटी जनता की मदद की जगह नहीं वरन् व्यवसाय का स्थान बन गया है। किसानों से कम दर पर जमीन लेकर उद्योगों को अधिक दर पर बेचकर पैसा कमा रही है। एक गरीब, साधारण नौकरी पेशा व्यक्ति का मकान का निर्माण एक दिवास्वपप्न बन गया है। उक्त विचार विद्याभवन सोसायटी द्वारा आयोजित क्रशहरीकरण एवं नागरिकताÓ विषयक दो दिवसीय सेमीनार में विधायक एवं पूर्व गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने व्यक्त किए। कटारिया ने कहा कि भूमाफियाआें के दबाव में विश्वविद्यालय मार्ग से पुलां तक 100 फीट रोड सीधी की जगह सर्पाकार बन गया। विभागों मे ंआपसी समन्वयन नहीं होने के कारण उदयपुर की सड़कें बदहाली का शिकार है। कटारिया ने कहा राजनेता सभी विषय के विशेषज्ञ हों, ये जरूरी नहीं है। अत: हर मंत्रालय में विशेषज्ञों की एक कमेटी होनी चाहिए, जो अधिकृत व शक्ति सम्पन्न हों। वर्तमान विकास की धारा दोषपूर्ण है। आयोजना एेसी होनी चाहिए कि आम जनता की आजीविका व आर्थिक स्थिति मजबूत हों। ग्राम सशक्तीकरण और जनता को शक्ति दिए बिना व्यवस्था का दुरस्त करना बहुत मुश्किल हैं। कार्यशाला के प्रात:कालीन सत्र में सेवानिवृत अधीक्षण अभियंता ज्ञानप्रकाश सोनी ने अपने प्रस्तुतीकरण में सन् 200& में स्वीकृत मास्टर प्लान और सन् 201& के ड्राफ्ट मास्टर प्लान तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत करते हुए यह बताया कि स्वीकृत मास्टर प्लान की अवधि पूर्ण होने से पूर्व ही नवीन मास्टर प्लान बनाने का जस्टीफिकेशन बढ़ती जनसंख्या का आधार नये मास्टर प्लान में दिए गए आंकड़ों से असत्य सिद्घ होता है, क्योंकि विद्यमान प्लान में सन् 2011 की अनुमानित आबादी 5$ 99 लाख आंकी गई थी, जो नवीन प्लान में 5$ 75 लाख बताई गई।

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