उदयपुर। मेवाड़ की वीरता और शोर्यता का प्रतिक विजय स्तंभ अब हमेशा के लिए बंद कर दिया जाएगा। मालवा पर मेवाड़ की विजय का प्रतीक राजस्थान में शौर्य का सुमेरू माने जाने वाले ऐतिहासिक स्मारक विजय स्तंभ पर चढऩे का सपना अब सपना ही बना रहेगा, क्योंकि सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीबीआरआई) की रिपोर्ट के बाद पुरातत्व विभाग ने इस ऐतिहासिक स्मारक को बंद करने का निर्णय लिया है। सूत्रों की माने तो विजय स्तंभ की संकरी सीढिय़ां और सीढिय़ों पर लोगों के चलने से हुई फिसलन, विजय स्तंभ पर आई दरारें और फुटफॉल या फूट वाइब्रेशन के कारण हो रहे नुकसान के चलते इस स्मारक को आम लोगों के चढऩे, उतरने के लिए बंद कर दिया गया है। अब विजय स्तंभ को पर्यटक या आम लोग बाहर से ही निहार पाऐंगे, उसके अंदर की खूबसूरती को निहारने की कसक मन ही मन में रह जाएगी। वैसे विभाग की ओर से डेढ साल पूर्व ही विजय स्तंभ को कैमिकल वॉश के बहाने आम लोगों के लिए बंद कर दिया गया था, उस समय भी कई संगठनों और लोगों ने इसे खोलने का आग्रह किया था, लेकिन शुक्रवार को पुरातत्व विभाग की टीम ने इसे हमेशा के लिए बंद करने के संकेत दे दिए हैं। आपको बता दे कि विजय स्तंभ की इमारत 9 मंजिला है और इसकी ऊंचाई 122 फीट है। इसे देखने के लिए देश और दुनिया से लाखों लोग हर साल चित्तौडग़ढ़ के दुर्ग पर आते हैं। विजयस्तंभ को बंद करने के निर्णक के बाद चित्तौडग़ढ़ आए पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने सांसद सी.पी.जोशी ने मुलाकात की। उन्होंने सांसद के साथ हुई बैठक में बताया कि विजय स्तंभ में लगातार दरारों के बढऩे और सीढिय़ों पर फिसलन होने के कारण विजय स्तंभ को बंद कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि ब्लास्टिंग से निश्चित रूप से नुकसान होता है और इस संबंध में मामला न्यायालय में विचाराधीन है, लेकिन विजय स्तंभ जैसे स्मारक को फुट वाइब्रेशन या फुटफॉल यानि पैदल चढऩे-उतरने से होने वाले कंपन के कारण अधिक नुकसान हो रहा है। चैदहवीं षताब्दी में बने ऐतिहासिक स्मारक की सुरक्षा के मद्देनजर ये कदम उठाया गया है।

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