उदयपुर , शनिवार को मुस्लिम समुदाय ने ईद-उल-अदहा ख़ुशी और हर्सोल्लास के साथ मनाई , नमाज़ अदायगी के बाद एक दुसरे को गले लगा कर मोहब्बत का पैगाम दिया और फिर क़ुरबानी का फ़र्ज़ अदा किया गया ।

मस्जिदों में सुबह से ही अकीदतमंदों का जुटना शुरू हो गया। मुख्य नमाज सुबह 9 बजे चेतक सर्कल स्थित पलटन मस्जिद में हुई। नमाज अदायगी के बाद मदहे व कसीदे पढ़े गए। सभी मस्जिदों में खादिमों ने खुतबा दिया। इसी दौरान मुल्क में अमनो-अमान की दुआएं मांगी गईं। नमाज के बाद घरों में कुर्बानी की रस्म अदा की गई, जिसका तबर्रुक रिश्तेदारों, गरीबों और पड़ोसियों में तकसीम किया गया। मुबारकबाद देने और कुर्बानी का दौर दिनभर चला।

तकरीरों में बताई कुर्बानी की अहमियत

मस्जिदों में मौलानाओं ने तकरीरें पेश की, जिसमें नमाज अदायगी का तौर-तरीका और कुर्बानी का महत्व बताया गया। नमाज अदायगी के दौरान सभी मस्जिद के अंदर, बाहर, छतों पर, सड़कों पर भी अकीदतमंदों की मौजूदगी रही।

इसलिए देते हैं कुर्बानी

मौलाना जुलकर नैन ने बताया कि हजरत इब्राहिम से ख्वाब में खुदा ने सबसे अजीज चीज की कुर्बानी मांगी। वे अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने को तैयार हो गए। कुर्बानी देने जाते समय रास्ते में आए शैतान ने बच्चे को भटकाया, लेकिन सच्चा अकीदतमंद बच्चा नहीं भटका। वो अपने वालिद के कहने पर कुर्बानी के लिए तैयार रहा। आंखों पर पट्टी बांधे हजरत इब्राहिम ने कुर्बानी देने के लिए छुरी निकाली तो अल्लाह ने कुर्बानी के जज्बे से खुश होकर बच्चे को बचा लिया और उसकी जगह दुंबा (भेड़) भेज दिया। उसी दिन और वाकये को याद करते हुए ईद उल अजहा मनाई और कुर्बानी दी जाती है। खुदा की राह में रोड़ा बना शैतान हर मुस्लिम का दुश्मन माना जाता है। ऐसे में मक्का में बनाए गए शैतान के तीन पुतलों पर बकरीद के मौके पर पत्थर मारे जाते हैं।

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