बर्मा के राष्ट्रपति ने स्वीकार किया है कि जातीय हिंसा की चपेट में फंसे देश के पश्चिमी हिस्से में बड़े पैमाने पर बर्बादी हुई है.

राष्ट्रपति थेन शेन के प्रवक्ता ने बीबीसी को बताया, “रखाइन राज्य में ऐसे मामले सामने आए हैं जिसमें पूरे-के-पूरे गांवों और शहरों के हिस्सों को जला दिया गया है.”

राष्ट्रपति के प्रवक्ता का ये बयान मानवाधिकार संस्था, ह्मूमन राइट्स वॉच, द्वारा तस्वीरों के जारी किए जाने के बाद आया है.

ह्मूमन राइट्स वॉच ने सैटेलाइट तस्वीरें जारी की थीं जिसमें तटीय शहर क्याउकप्यु में सैकड़ों नष्ट इमारतों को दिखाया गया था.

‘निशाने पर मुसलमान’

संस्था का कहना है कि हमला का निशाना बनाए गए ज्यादातर लोग मुसलमान हैं. संस्था के मुताबिक़ वो गैर-मुस्लिमों के हमलों का शिकार हुए हैं.

राष्ट्रपति के प्रवक्ता ज़ॉओ हतेए ने बीबीसी को बताया कि सरकार रखाइन सूबे में सुरक्षा बढ़ा रही है. इस क्षेत्र को अराकान के नाम से भी जाना जाता है.

हतेए ने कहा, “अगर ज़रूरत होगी तो हम वहां स्थिरता बहाल करने के लिए और ज़्यादा पुलिस और सेना भेजेंगे.”

बर्मा में अधिकारियों ने माना कि राज्य में बौद्ध और मुस्लमानों के बीच हिंसा में 80 से ज़्यादा लोग मारे गए हैं.

इस इलाके में वर्षों से स्थानीय रखाइन समुदाय और मुसलमानों के बीच तनाव का इतिहास है. जहां रखाइन राज्य में बहुसंख्यक हैं वहीं मुसलमानों का तालुक्क़ रोहिंग्या समुदाय से है और उन्हें बर्मा का नागरिक नहीं माना जाता.

रोहिंग्या मुसलमानों को बर्मा में अधिकारी ग़ैरक़ानूनी अप्रवासी मानते हैं और उनके ख़िलाफ़ लोगों में व्यापक विद्वेष की भावना है.

विनाश की तस्वीरें

अमरीकी संस्था, ह्मूमन राइट्स वॉच, एचआरडब्ल्यू, ने क्याउकप्यु ज़िले की जो उपग्रह तस्वीरें जारी की थीं वो नौ और 25 अक्तूबर की हैं.

नौ अक्तूबर वाली तस्वीर में पास-पास हज़ारों घर और तट पर बहुत सारी हाउसबोट देखी जा सकती हैं. लेकिन 25 अक्तूबर को ली गई उपग्रह तस्वीर में 35 एकड़ में फैले इस ज़िला लगभग खाली नज़र आ रहा है और तट पर कुछ एक नावें ही दिख रही हैं.

एचआरडब्ल्यू का कहना था कि लगता है कई निवासी नावों पर सवार होकर इलाके से भाग गए हैं.

इलाके का दौरा करने वाले एक स्थानीय पत्रकार ने बीबीसी की बर्मा सेवा को बताया कि वहां लगभग सभी इमारतें नष्ट हो चुकी है और कुछ इमारतें अब भी सुलग रही हैं. लगभग 3000 की आबादी वाले एक ज़िले में सिर्फ़ जले हुए घरों और पेड़ों के ठूंठ ही दिख रहे थे.

आपातकाल

सरकार का कहना है कि इस सप्ताह हिंसा में मारे गए लोगों की संख्या 82 हो गई है. इसके अलावा 129 लोग घायल हुए और लगभग 3000 मकान नष्ट हो गए.

इससे पहले जून में भी रखाइन में हिंसा की वाहदाते हुई थीं और तब वहां आपातकाल घोषित किया गया था. उस वक्त हुई हिंसा में दर्जनों लोग मारे गए थे और हज़ारों लोग अपने घर छोड़कर भागने पर मजबूर हुए थे जिनमें से बहुत अब तक वापिस नहीं लौटे हैं.

एचआरडब्ल्यू को आशंका है कि ताज़ा हिंसा में मरने वालों की संख्या कहीं ज्यादा हो सकती है.

सो. बी.बी.सी. हिंदी

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1 COMMENT

  1. police n army bhegne se kuch n hoga bhai

    maine pura vedio dekha hai jisme policewalo k samne hi muslim ko talwaro se kata ja rha hai n police tamasha dekh rhi thi

    n waise b ab to sb ujad gaya to police n army kis kaam ki hai

    aur sarkari kharch bad jayega

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