पोस्ट न्यूज़। अक्षय कुमार की फिल्म पेडमेन आने वाले २-३ हफ्तों में सिनेमा घरों में रिलीज़ होगी। लेकिन राजस्थान के उदयपुर शहर में अब्दुल कादिर खान असल ज़िन्दगी का पेडमेन है, जिसने अपने पांच साल के अथक प्रयासों के बाद सेनेटरी नेपकिन का बोहत कम दाम में निर्माण करने वाली मशीन को बना दिया। इस मशीन से बनने वाली नेपकिन का फायदा उन गरीब महिलाओं को पहुच रहा है जो बाजारों में उपलब्ध मंहगी सेनेटरी नेपकिन खरीदने में असमर्थ है।
उदयपुर निवासी अब्दुल कादिर खान एक ऐसे नवयुवक है जिन्होंने समाज में रहने वाली उस गरीब तबके कि महिलाओं के बारे में सोचा जो बाज़ारों से महगी सेनेटरी नेपकिन खरीदने में असमर्थ है। इसी वजह से इन गरीब महिलाओं को अक्सर कई इन्फेक्शन की बीमारियों से गुजरना पड़ता है। अब्दुल कादिर का कहना है कि महिला चाहे अमीर हो या गरीब सेनेटरी नेपकिन हर एक महिला की जरूरत है। बाज़ार में मिलने वाली महगे नेपकिन तक सिर्फ पैसे वाली महिलाओं की ही पहुच है। गरीब महिलाएं ख़ास कर गाँव की महिलाएं आज भी पुराने गंदे कपड़ों का इस्तमाल करती है जिसकी वजह से उन्हें कई तरह के इन्फेक्शन होते है।
अब्दुल कादिर ने समाज की इस परेशानी को समझते हुए एक एसी मशीन को इजाद किया जो मात्र 90 पैसे में एक सेनेटरी पेड को बना देती है। इस मशीन की ख़ास बात कि इसको चलाना इतना आसान है कि कोई गाँव की अनपढ़ महिला भी इसको आराम से चला सकती है।
उदयपुर शहर के युवा इंजिनियर अब्दुल कादिर खांन पुत्र अब्दुल रऊफ ने एक ऐसी सैनेटरी नेपाकिन निर्माण की मशीनरी का निर्माण किया है जो कीमत में दुनिया में सबसे कम है।

पेशे से ‘‘मैकेनिकल इंजिनियर’’ अब्दुल कादिर खांन का यह भी दावा है कि उनके द्वारा बनाये गये सैनेटरी नेपाकिन की कीमत ’90’ पैसे भी कम है। और मशीनरी इकाई की कीमत ‘एक लाख’ रूपये है।

सैमी आॅटोमेटिक सिस्अम पर आधारित है पूरा प्लांट
प्लांट में उपस्थित सारी मशीनरी सैमी आॅटोमेटिक सिस्टम पर आधारित है और उन मशीनरी को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि कोई भी महिला जिसने किसी भी तरह की कोई मशीन नहीं चलाई है वह भी इसे बड़ी ही आसानी से चला सकती है और उत्पाद बना सकती है।
अब्दुल का यह भी दावा है कि सारी मशीनरी को चलाना एक सिलाई मशीन चलाने से भी ज्यादा आसान है।

सब से कम कीमत का सैनेटारी पैड बनाने के लिए अब्दुल लगभग ‘‘5 वर्ष से अथक प्रयास कर रहे हैं। इस विषय में उन्होंने अपना कीमती समय एवं अपनी सैलेरी तक लगा दी। पिछले तीन वर्षाें में जो भी वह अपनी जाॅब से कमाते हैं वह सारा कुछ इस विषय में अध्ययन एवं खोज में लगा देते ।
इस पूर सफर में अब्दुल को अपने परिवार का पूरा सहयोग भी मिला और उन्होंने इसी के अन्तर्गत पूरी मशीनरी इकाई का नाम अपनी माता के नाम से ‘‘शहनाज़ इंटरप्राइज रखा।
अब्दुल चाहते है की वह हर-एक महिला जिसको इस प्रोडक्ट की जरूरत होती है उन तक इसको पहुंचाएं और कम से कम कीमत में उपलब्ध कराएं।
उनका कहना यह है कि आज जो भी मार्केट में प्रोडक्ट चलन में है वह बहुत ही मंहगे है और वह हर एक महिला की पहुंच से परे है। आज के इस आधुनिक युग में जब भारत इतनी तरक्की कर रहा है। वहंा भारत की बहुत सी ग्रामीण महिलाएं आज भी कपडे का उपयोग करती हैं। जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक है जो वह समझ भी नहीं सकती हैं
आज इसलिए आज के दौर में अब्दुुल अपने प्रयासों से यह भ्रांतियां दूर करने में लगे हुए हैं।
अब्दुल लगातार अपने प्रयासों से गांवो में सैनेटरी नैपकिन बनाने की इकाईयां को लगा रहे हैं। जहां पर महिलाएं स्वयं अपने हाथों से सारी मशीनरी को चलाती हैं और उत्पाद बनाती हैं। यह उत्पाद पैक कर पूरे गांव में अलग-अलग स्थानों से वितरीत किया एवं बेचा जाता है। जिससे गांवो की महिलाओं को आजीविका मिलती है एवं जो लोग सैनेटरी नैपकिन सिर्फ अधिक कीमतों की वजह से नहीं उपयोग करते थे उनको कम कीमत में उत्पाद मिल जाता है।
अब्दुल कादिर खांन का एक युवा स्टार्टअप इंटरप्रिन्योर है। उन्होंने अपनी कंपनी स्टार्ट की है। जिसका नाम शहनाज इंटरप्राइज है। जिसके अंतर्गत वह अलग-अलग सैनेटरी नेपकिन बनाने के मशीन सप्लाई करते हैं। वह एक लाख रूपये से 10 लाख रूपये तक का प्लांट उपलब्ध कराते हैं। जिसके अंतर्गत मशीनरी इंस्टोलेशन, महिलाओं को बनाने की टेªनिंग एवं मार्केटिंग स्किल प्रशिक्षण दिया जाता है। जिससे महिलाएं अपने पैरों पर खडी हो सके और आत्मनिर्भर बन सके।

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