उदयपुर। बुधवार की रात उदयपुर नगर निगम वार्ड 46 की पार्षद गरिमा पठान की मौत कई सवाल खड़े कर रही है जो हर शहरवासी के ज़हन में घूम रहे है। पुलिस हालाँकि तप्तीश में लगी हुई है लेकिन आत्महत्या का तरिका व् कारण आत्महत्या पर सवालिया निशान लगा रहा है।
पुलिस और डॉक्टरों की माने तो पार्षद की मौत पानी में डूबने से ही हुई है क्योंकि डॉक्टरों के अनुसार मृतका के फेफड़ों और लंग्स में पानी भरा हुआ पाया गया और ज़िंदा व्यक्ति पानी में डूबता है तब ही पानी फेफड़ों और लंग्स में पानी भरता है। पुलिस के अनुसार घर का दरवाजा भी अंदर से बंद था इसलिए किसी बाहरी व्यक्ति द्वारा किसी वारदात की आशंका भी क्षीण हो जाती है।
सबसे बड़ा सवाल जो आज हर शहरवासी की जुबां पर है वह यह कि आखिर महज़ 500 लीटर की पानी की टंकी जिसमे सिर्फ डेड फिट पानी भरा हुआ और पानी की टंकी का मूंह भी इतना छोटा कि किसी स्वस्थ हेल्दी इंसान ( जैसी मृतका थी ) का अन्दर उतरना इतना आसान नहीं तो फिर पानी की टंकी में कैसे डूबी ?
दूसरा बड़ा सवाल कि जब रात को १२ बजे तक बेटे को परीक्षा की तय्यारी में सहयोग कर रही थी सब कुछ ठीक था तो आखिर 12 से 2 बजे के बिच ऐसा क्या हुआ कि मृतका ने एसा कदम उठाने की ठान ली ?
क्या एसा तो नहीं कि व्यक्तिगत कारणों से पहले ही तनावग्रस्त थी और ऐसे में रात को ही किसी ने इतना तनाव में ला कर आत्महत्या के लिए प्रेरित कर दिया ?
या ऐसा तो नहीं कि किन्ही कारणों से कोई उन्हें किसी तरह से ब्लेकमेल कर रहा हो ?
गरिमा पठान की आत्महत्या के लिए जिस किसी ने भी सूना अवाक रह गया उनके परिचितों को एकाएक यकीं नहीं आया क्यूँ कि वह इतनी कमज़ोर महिला नहीं थी कि आत्महत्या जैसा कदम उठा सकें। पुलिस सारे पहलुओं को ध्यान में रखते हुए जांच कर रही है।
अगर यह सीधा साधा तनाव के कारण आत्महत्या का मामला होगा तो अलाग्बात है लेकिन अगर इसमें किसी रसूखदार का इन्वोल्मेंट हुआ तो पुलिस की कहानी भी प्रभावित हो सकती है ? लेकिन जनता को पुलिस की जांच पर पूरा भरोसा है कि वह एक मृतका के साथ नयाँ जरूर करेगी।
हालाँकि मृतका गरिमा पठान के परिजन और उनके पति हामिद ने किसी तरह की अनहोनी या हत्या की आशंका नहीं जताई है ना ही पुलिस रिपोर्ट में एसी किसी बात का जिक्र किया गया है।

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