उदयपुर। शहर में शादीब्याह के सीज़न में निकायों के नियम कायदे सब के सब टाक पर धरे रह गए। जिन वाटिकाओं में पार्किंग नहीं है जिनके पास पार्टी आयोजन की स्वीक्रति नहीं है वह भी अपने रसुखों के दम पर धड़ल्ले से चल रही है। सेक्टर १४ की दो वाटिकाएं खुले आम नियमों की धज्जियाँ उड़ा रही है लेकिन वाटिका मालिक के रसूख के चलते उनपर अंकुश लगाने की कोई सोच भी नहीं सकता। अलबत्ता एसी ही अगर कोई अन्य वाटिका करती है तो निकाय के निरक्षक बंद करवाने पहुच जाते है।
इन दिनों सावों की खासी धूम मची हुई है, चारों तरफ जाम की ऐसी स्थिति है कि वाहन भी रेंगकर चल रहे हैं। हर खासोआम काफी परेशान हो रहा है, लेकिन बेंड, बाजा बारात में सबसे ज्यादा चांदी शहर के गार्डन कूट रहे हैं। निगम और न्यास परिधि में आने वाले इन गार्डनों में से दर्जनों गार्डन अवैध रूप से चल रहे है जिस पर किसी का ध्यान नहीं गया। एक-दो बार इन दोनो निकायों ने हिम्मत भी की पर अब वह हिम्मत न जाने कहां चली गई है। गार्डनों के बाहर बेतरतीब से अवैध रूप से पार्किंग की जाती है। वहीं वहां से गुजरने वाले वाहनधारियों को इन गार्डनों के बाहर सिक्युरिटी गार्ड में के रूप में खड़े मुस्टण्डे धमकाते हुए भी दिखाई देते है। व्यस्ततम इलाकों में से एक सेक्टर ग्यारह से 14 की तरफ जाने वाले मार्ग पर बने दो गार्डनों का यह हाल है कि पार्किंग सड़क पर होती है और रास्ता जाम रहता है । यह दोनो ही गार्डन रसूखदारों के बताए जाते है जहां तक पंहुचना निगम की भी जद में नहीं है। हिरणमगरी का मानबाग गार्डन जो भाजपा के रसूखदार नेता का है। इसी वजह से यहां पर कोई भी निगम का कर्मचारी कार्रवाई करने नहीं आता है, क्यांेकि अगर वह कार्रवाई करेगा तो कहीं उसकी नौकरी पर ही नहीं बन आए। इस गार्डन में वैसे तो पार्किंग है पर नाम मात्र की। पार्किंग मे तो कम ही मेहमान या मेजबान अपना वाहन पार्क करते हैं क्योंकि सड़क पर ही उन्हें वाहन खड़ा करवाने के लिए गार्डन की तरफ से तैनात सिक्युरिटी कम्पनी के मुस्टंडे मिल जाते हैं जो लाल और हरे रंग के इलेक्ट्रोनिक डण्डे लेकर खड़े रहते है। इसके अलावा आषिश वाटिका जो मान बाग से महज 200 मीटर की दूरी पर होगी। यह भी काफी रसूखदार शक्श की है जिस तक पंहुचना निगम के लिए नामुमकीन सा ही है। यही वजह है कि यहां पर भी गार्ड की वर्दी में तैनात सुरक्षा कर्मी मनमर्जी से वाहनों को सड़क किनारे ही खड़ा कराते है। जिस वजह से खासोआम को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। हालाकि इस वाटिका के ठीक सामने संचालक ने पार्किंग के लिए एक भुखण्ड ले रखा है, लेकिन इतनी बड़ी वाटिका के लिए यह पार्किंग स्थल भी नाकाफी सा लगता है। इसलिए यह सुरक्षा कर्मी यहां आने वाले मेहमानों को सड़क पर ही वाहन खड़ा करने पर मजबूर कर देते है। स्मार्ट सिटी के इन दो गार्डनों की दबंगई के कारण यहां से गुजरने वाले हर खासोआम को कितनी तकलीफों का सामना करना पड़ता है। क्षेत्रवासियों ने कई बार यहां के वार्डपार्षद से भी षिकायत की, लेकिन वह भी कुछ नहीं कर पाए। ऐसा नहीं है कि निगम के कर्ताधर्ता की नजरें यहां नहीं गई होगी। वह खुद भी इन गार्डनों के होने वाले आयोजनों में शिरकत करने आते है और अपनी आंखों से यह नजारा देखने के बाद भी उनका चुप्पी साधना साबित करता है कि वाकई वह शहर विकास के बारे में कितना सोचते हैं। इधर शहर के अन्य हिस्सों में कुछ छोटी वाटिकाएं है जिसमे कम रूपये लेकर आयोजन होता है लेकिन नगर निगम वाले यहाँ जाब्ते के साथ पहुच जाते है और आयोजन में अव्रोश दाल कर वाटिका बंद करवाने और सील करवाने की धमकी देते है। शहर की कई छोटी वाटिकाएं जो नियमों को पूरा नहीं करई बंद है। लेकिन जिनके साथ रसूखदार नेता है वो बिना खोफ अपना काम कर रहे है।

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